सूचना क्षेत्र में आई क्रांति के बाद जिस आविष्कार ने हमारे दैनिक कार्यों और जरूतों को सबसे अधिक प्रभावित किया है, उसमें इंटरनेट का नाम प्रमुखता से लिया जा सकता है।

इंटरनेट एक–दूसरे से जुड़े विविध कम्पयूटरों का एक ऐसा विश्व-व्यापि नेटवर्क/जाल है, जिससे हम बुरी तरह जकड़े हैं। मानव विकास के हर पहलू को इसने बखूबी छुआ है। इसकी जकड़न मतलब कि इसकी जरूरत इतनी अधिक है कि हम इसके बिना आधुनिक जीवन की कल्पना ही नहीं कर सकते। यह हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण अव्यव बन चुका है।

वैसे तो इंटरनेट का आगमन 19वीं शताब्दी में ही हो गया था, लेकिन इसके आधुनिकतम स्वरूप की शुरूआत 1950-60 के दौरान हुई, जब कम्पयूटरों का विकास हो सका। 1990 के आते-आते इसके उपयोग में जबर्दस्त उछाल आया और अंतत: यह हमारी अपरिहार्य जरूरत बन गया।

भारत में इसका आगमन 80 के दशक में हुआ। हांलाकि, इससे पहले भी हमारे यहां यह सेवा थी, लेकिन उस वक्त केवल शैक्षणिक और अनुसंधान कार्यों के लिए उपलब्ध था। 15 अगस्त 1980 को इसे सामान्य उपयोग के लिए उपलब्ध करा दिया गया। शिक्षा, विज्ञान, कला, संस्कृति, कृषि, व्यवसाय, मनोरंजन, खेल आदि हर क्षेत्र में इसने अपनी उपयोगिता साबित की है। अभी के सूचना-प्रौद्योगिकी वाले जमाने में मानव समाज तेजी से आगे बढ़ते की कोशिश में लगा है और अपनी इस कोशिश में कामयाब भी रहा है। मानव समाज की इस सफलता ने इनकी जरूरतों को भी प्रभावित किया है। 

जैसा कि प्राकृतिक रूप से ही मानव प्राणि जिज्ञासु होता है। फलत: अपनी जिज्ञासा को शांत करने के लिए कम से कम समय में संबंधित सूचनाओं को पाना चाहता है। इंटरनेट ने सूचना संप्रेषण को अभूतपूर्व ढ़ंग से तेजी प्रदान की है। आज हम अपने घर बैठे दुनिया के किसी भी हिस्से में हो रही घटनाओं के बारें में सारी जानकारी बस चंद मिनटों में ही प्राप्त कर लेते हैं। 

नोकिया ने पहली बार 1996 में इंटरनेट से युक्त मोबाइल फोन बाजार में उतारा। “नोकिया 9000 कम्यूनिकेटर” नाम के इस हैंडसेट को फिनलैंड में लॉच किया गया था। “एनटीटी डोकोमो” ने 1996 में जापान में मोबाइल फोन में इंटरनेट सर्विस देना शुरू किया। दोनों कंपनियों की इस सफलता ने इंटरनेट को लोगों की जेब में डाल दिया। मतलब साफ था जहां चाहो, लॉग इन करो।

इंटरनेट ने सूचना और सम्प्रेषण के तरीकों और तकनीकों में बदलाब तो लाया ही, साथ ही मनोरंजन, व्यवसाय, शॉपिंग, संपर्क आदि के पारंपरिक व्यवहारों में भी बदलाब लाया। आजकल हम इसकी सहायता से ऑन लाइन फिल्में, वीडियो आदि देख सकते हैं। ऑन लाइन शॉपिंग कर सकते हैं।

अगर हमें किसी ऐसी जगह जाना हो जिसके बारे में पहले से कुछ भी पता न हो, तब भी हम वहां आसानी से जा सकते हैं, क्योंकि इंटरनेट के द्वारा उस जगह के बारें में सारी जानकारी हासिल कर सकते हैं। कहने का तात्पर्य है कि इंटरनेट तमाम तरह की सूचनाओं का विश्व बैंक है। आपको किसी भी तरह की जानकारी चाहिए तो यहां उपलब्ध है, वह भी मुफ्त का, क्योंकि सूचना देने के लिए कोई पैसा नहीं लिया जाता।

इंटरनेट ने अनेक सकारात्मक पहलुओं के बावजूद, हमारे जीवन को कई रूपों में नकारात्मक ढंग से प्रभावित किया है। जैसा कि हम जानते हैं, विश्व समाज आतंकवाद से त्रस्त है। आतंकवादियों ने कई अवसरों पर इसका इस्तेमाल दहशत फैलाने के लिए किया है। कई बार लोगों के निजी सूचनाओं को चुरा लिया जाता है और फिर उसका या तो गलत इस्तेमाल किया जाता है या उसे सार्वजनिक कर दिया जाता है। इसके ऊपर न जाने कितने वायरस और अश्लील वीडियो मौजूद हैं। कई बार हमें ऐसे अनचाहे ईमेल मिलते हैं, जिनके ऊपर क्लिक करने मात्र से ही हमारा कम्पयूटर हैक कर लिया जाता है।

इन तमाम बुराईयों के बावजूद इंटरनेट ने हमारे जीवन को बेहद सरल बनाया है। आज के तकनीकी युग में इसके विना सरल जीवन की कल्पना भर नहीं किया जा सकता, खासकर शहरो में। इसकी उपयोगिता के कारण ही केंद्रीय सूचना व प्रौद्योगिकी मंत्रालय इसका विस्तार देश के ग्रामीण इलाकों में करना चाहती है। थोड़ी देर के लिए कल्पना कीजिए, अगर सूचना क्रांति से निकले इंटरनेट नाम के नायाब तोहफे को ग्रामीण भारत तक पहुंचा दिया जाय तो उनका कितना विकास होगा…….है न !!

[नीतीश कुमार भारद्वाज]

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