पटना ।। आज तक आपने फैशन परेड में पुरुषों और महिलाओं को तो कैटवॉक करते देखा-सुना होगा लेकिन बिहार के विश्व प्रसिद्ध सोनपुर मेले में भैंसों की फैशन परेड का आयोजन किया गया, जहां खूब सजी-धजी भैंसों ने मंच पर कैटवॉक कर दर्शकों की तालियां बटोरीं।
प्रसिद्ध सोनपुर पशु मेले में सोमवार को भैंसों की फैशन परेड में करीब 100 भैंसों ने अपने मालिक के साथ एक बड़े मंच पर कैटवॉक किया। रंगबिरंगी चादरों से सुसज्जित, सींगों पर लाल-पीले फीते सजाकर इन भैंसों को मंच पर उनके मालिकों द्वारा उतारा गया, जहां भैंसों ने संगीत की धुन पर कैटवॉक की।
इस दौरान इन सजीधजी भैंसों ने न केवल हजारों दर्शकों की तालियां बटोरीं बल्कि ‘भैंस के सामने बीन बजाए, भैंस बैठ पगुराए’ जैसी पुरानी कहावत को भी गलत साबित कर दिया। इन धुनों पर भैंसों ने भी शांत रहकर मालिकों के साथ मंच पर भ्रमण किया।
इस फैशन परेड में पटना, सोनपुर, सीतामढ़ी, राघोपुर, जहानाबाद सहित कई क्षेत्रों से आई भैंसों ने भाग लिया। इस परेड के बाद जजों ने अशोक सिंह की मुर्रा नस्ल की भैंस को उसके स्वास्थ्य और स्वच्छता को देखते हुए पहला पुरस्कार दिया जबकि दूसरा और तीसरा पुरस्कार क्रमश: जहानाबाद और राघोपुर के निवासियों की भैंस को दिया गया। जज की भूमिका में सोनपुर के प्रखंड पशुपालन पदाधिकारी डॉ़ रमेश कुमार मौजूद थे।
इस फैशन परेड का आयोजन सामुदायिक पुलिस द्वारा किया गया था। सामुदायिक पुलिस के संयोजक राजीव मुनमुन ने आईएएनएस को बताया कि सोनपुर मेले की प्रसिद्धि मुख्य रूप से पशु मेले के लिए है परंतु अब इसमें पशुओं की संख्या लगातार कम होती जा रही है। उनका मानना है कि ऐसे आयोजनों से न केवल पशु पालक आकर्षित होंगे बल्कि मेले का अस्तित्व भी बरकरार रखा जा सकेगा।
इधर, इस फैशन परेड के आयोजनकर्ता निर्भय कुमार का कहना है कि आज इस आधुनिक युग में पशु पालकों की संख्या में काफी कमी आ रही है। पशुओं के न रहने के कारण लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
ऐसे आयोजन से पशुपालकों को पशुओं की ओर आकर्षित किया जा सकता है तथा पशुओं को पालने के अच्छे तौर-तरीके अपनाए जा सकते हैं। कुमार ने कहा कि सोनपुर मेले में प्रत्येक वर्ष इस तरह के आयोजन किए जाएंगे।
उल्लेखनीय है कि एक महीने तक लगने वाले इस सोनपुर मेले में देश-विदेश के लाखों पर्यटक पहुंचते हैं। राज्य पर्यटन विभाग द्वारा विदेशी सैलानियों के रहने एवं घूमने के लिए विशेष व्यवस्था की जाती है।
[मनोज पाठक]