रांची ।। राजनीतिक हलचल और गठबंधन के साझेदारों से नोक-झोंक के बीच अर्जुन मुंडा ने रविवार को झारखण्ड के मुख्यमंत्री के रूप में एक साल पूरा किया।


दो मुख्य प्रतिद्वंद्वी- भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और झारखण्ड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने राज्य में एक निर्वाचित सरकार के गठन के लिए पिछले वर्ष सितम्बर में एक-दूसरे से हाथ मिलाया था। पिछले छह वर्षो में झारखण्ड पांच सरकारें और दो बार राष्ट्रपति शासन देख चुका है।


11 सितम्बर 2011 को जब अर्जुन मुंडा ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, उस समय लोगों को लगा था कि यह सरकार कुछ महीनों में गिर जाएगी, क्योंकि भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार को समर्थन देने के मुद्दे पर झामुमो के अंदर काफी विरोध था। यहां तक कि सरकार गठन के मुद्दे पर भाजपा में फूट पड़ गई थी।


सरकार के एक साल पूरा कर लेने से राजनीतिक वर्ग में फैली यह गलतफहमी दूर हो गई कि गठबंधन सरकार जनहित के कार्य शुरू नहीं कर पाएगी। राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि मुंडा सरकार को न तो गरीबों की हिमायती और न ही गरीब विरोधी कहा जा सकता है, लेकिन सरकार द्वारा उठाए गए कुछ कदमों को यदि उत्साहपूर्वक अमल में लाया जाए तो राज्य के लोगों को काफी मदद मिलेगी।


ज्ञात हो कि झारखण्ड विधानसभा ने जवाबदेही तय करने के लिए अगस्त में सेवा का अधिकार अधिनियम पारित किया था। इस अधिनियम के तहत अधिकारियों को निर्धारित समय में कार्य पूरा करना होगा।


राज्य सरकार ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर 100 भोजन केंद्र खोले थे जहां गरीबी रेखा से नीचे स्तर के लोगों को पांच रुपये में भोजन मुहैया कराया जाता है। इन 100 केंद्रों पर प्रत्येक दिन 40,000 लोग पांच रुपये में भोजन प्राप्त करते हैं।


गौरतलब है कि झारखण्ड की तीन करोड़ आबादी का आधा हिस्सा गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) है।


राज्य सरकार इस बीच 32 साल बाद पंचायत चुनाव कराने में भी सफल रही। राज्य सरकार का दावा है कि पंचायत निकायों में 55 फीसदी महिलाएं निर्वाचित प्रतिनिधि हैं। सरकार ने उर्दू, बांग्ला, ओडिया सहित 12 भाषाओं तथा नौ जनजातीय भाषाओं को द्वितीय राजभाषा का दर्जा भी दिया है।


शपथ ग्रहण करने के समय से ही मुंडा ने खनिज पदार्थो से समृद्ध इस राज्य की छवि सुधारने के उपाय शुरू किए थे। राज्य की छवि पर तब आंच आई थी जब पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की 2,500 करोड़ रुपये की हेराफेरी मामले में संलिप्ता सामने आई। कोड़ा के साथ चार पूर्व मंत्री- एनोस एक्का, हरिनारायण राय, कमलेश सिंह एवं भानु प्रताप साही भ्रष्टाचार के मामले में जेल में हैं।


मुंडा ने दावा किया है कि भ्रष्टाचार के मामले में 60 इंजीनियरों सहित 300 से अधिक अधिकारियों पर अभियोग चलाने और 100 से अधिक अधिकारियों की बर्खास्तगी की स्वीकृति दी गई है।


[नित्यानंद शुक्ला]

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