पटना ।। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी की जनचेतना यात्रा ने बिहार के भाजपा कार्यकर्ताओं में नया जोश भर दिया है। इस यात्रा को लेकर सभी वरिष्ठ नेता भी आत्मविश्वास से लबरेज नजर आ रहे हैं।

अपने राजनीतिक जीवन में छठी बार यात्रा पर निकले आडवाणी, जब 23 अक्टूबर 1991 को राम रथ यात्रा के दौरान बिहार के समस्तीपुर पहुंचे थे, तब राज्य सरकार ने उनके रथ में ब्रेक लगा दी थी और यात्रा रुक गई थी। परंतु 11 वर्ष बाद जब आडवाणी ने एक और यात्रा करने की योजना बनाई तो उन्होंने इसकी शुरूआत के लिए बिहार में जयप्रकाश नारायण की संघर्ष स्थली छपरा को चुना।

यहां से न केवल इस यात्रा की शुरूआत हुई बल्कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आडवाणी के रथ को हरी झंडी भी दिखाई। भाजपा के एक नेता की मानें तो इस यात्रा से बूथ स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक के नेता जोश में हैं । सारण, सीवान और गोपालगंज जिले के कार्यकर्ता सिताबदियारा और छपरा में नजर आए तो अन्य जिले के नेता और कार्यकर्ता पटना के गांधी मैदान में थे।

राजनीति के जानकार भी मानते हैं कि सोची-समझी रणनीति के तहत जयप्रकाश के पैतृक गांव सिताबदियारा से शुरुआत की गई, जो कि सारण संसदीय क्षेत्र में पड़ता है, जहां के सांसद लालू प्रसाद हैं। राजनीतिक प्रेक्षकों का कहना है कि नीतीश का यात्रा को हरी झंडी दिखाने का मकसद एक तरफ अपना राजनीतिक कद बढ़ाना है, तो दूसरे बिहार के विकास को भुनाना है।

माना जा रहा है कि इस यात्रा के दौरान नीतीश की उपस्थिति ने राज्य में जनता दल (युनाइटेड)और भाजपा की गठबंधन सरकार को भी और मजबूत किया है। उल्लेखनीय है कि आडवाणी ने बुधवार को नीतीश कुमार के सहयोग के लिए उन्हें धन्यवाद देते हुए कहा कि उनके सहयोग से यह यात्रा और मजबूत हुई है।

जनता दल (युनाइटेड) के नेता इय यात्रा को राजनीति से प्रेरित नहीं नहीं बल्कि राष्ट्रीय मुद्दों से जुड़ा मानते हैं। उनका कहना है कि भ्रष्टाचार के मुद्दे को लेकर सरकार आगे बढ़ रही है। दूसरी ओर भाजपा कार्यकर्ताओं का मानना है कि इस यात्रा से पार्टी में सभी स्तरों पर आत्मविश्वास का संचार हुआ है।

[मनोज पाठक]

Rate this post

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here