भोपाल ।। भारतीय क्रिकेट को ऊंचाईयों पर पहुंचाने वाले मंसूर अली खान पटौदी मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल को बहुत याद आएंगे। भोपाल के नवाब खानदान से करीबी का नाता रखने वाले पटौदी क्रिकेट के ही नहीं, दिल के भी टाइगर थे। अब उनके चाहने वालों के बीच सिर्फ उनकी यादें ही रह गई हैं।

पटौदी का ननिहाल भोपाल है। भोपाल के नवाब हमीदुल्ला खां की मंझली बेटी साजिदा सुल्तान पटौदी की मां थी। भोपाल नवाब ने साजिदा को अपना वारिस घोषित किया था, तो साजिदा ने अपनी विरासत बेटे मंसूर को सौंपी थी। लिहाजा पटौदी, भोपाल के भी नवाब कहलाए। पटौदी का लगाव सिर्फ क्रिकेट से नहीं रहा, वह हॉकी व फुटबाल भी खेलते थे।

पटौदी का पूरी जिंदगी भोपाल से जुड़ाव रहा है, जब भी फुर्सत मिलती थी वह भोपाल चले आते थे। खबरों से दूर रहकर वह भोपाल में अपनी हिस्सेदारी को निभाने से नहीं हिचकते थे। पटौदी को करीब से जानने वाले बताते हैं कि उन्होंने धर्म से लेकर जरुरतमंदों तक के हित में काम करने में कभी हिचक नहीं दिखाई।

वह भोपाल में हज हाउस बनवाना चाहते थे, इसके लिए उन्होंने राज्य हज कमेटी को जमीन तक देने की पेशकश की थी, मगर उनकी यह हसरत अधूरी ही रह गई। इतना ही नहीं उन्होंने औकाफ-ए-शाही के जरिए छात्रवृत्ति व विधवाओं को आर्थिक मदद देने का काम किया।

पटौदी के करीबी मित्र गुफरान आजम उन्हें दिल का भी टाइगर मानते हैं। वह कहते हैं कि पटौदी महान क्रिकेटर के साथ दरियादिल इंसान थे। वह 1970 के एक वाक्ये को आज तक नहीं भूले है। वह बताते हैं कि तब पटौदी इलेवन की टीम ग्वालियर क्रिकेट मैच खेलने जा रही थी तो रेलगाड़ी में पटौदी प्रथम श्रेणी तथा शेष खिलाड़ी सामान्य श्रेणी में थे। यह बात जब पटौदी को पता चली तो वह खुद सामान्य डिब्बे में आ गए तथा उन्होंने सामान्य डिब्बे में ही ग्वालियर तक की यात्रा की। इतना ही नहीं उन्होंने उन्हें इनाम मे मिली राशि भी खिलाडियों में बांट दी।

नवाब पटौदी को क्रिकेट के साथ शिकार का भी शौक था। उनको जानने वाले बताते हैं कि एक बार वह देलावाड़ी शिकार करने गए, रात को उन्हें एक जगह अच्छा मैदान नजर आया तो उनका मन क्रिकेट खेलने का हो गया। फिर क्या था सभी जीपों की लाइट्स व सर्च लाइट्स जलाकर क्रिकेट खेला गया।

पटौदी का नाम टाइगर होने को लेकर भोपाल में दो बातें कही जाती हैं। कहा जाता है कि उन्हें अचूक निशाने के चलते टाइगर नाम मिला था तो कुछ का मानना है कि क्रिकेट के मैदान में चौके-छक्के लगाने के कारण उन्हें टाइगर कहा जाता था।

प्रदेश के राज्यपाल रामनरेश यादव ने पटौदी को महान क्रिकेटर बताते हुए कहा कि क्रिकेट में उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकेगा। वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पटौदी के निधन को क्रिकेट के लिए अपूर्णीय क्षति बताया है।

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