नई दिल्ली ।। दिल्ली उच्च न्यायालय के बाहर हुए बम विस्फोट में बुरी तरह घायल हुआ एक बेटा अपनी बूढ़ी मां को यह नहीं जताना चाहता कि वह इस दशा में अस्पताल में पड़ा हुआ है।

पेशे से स्वतंत्र छायाकार 32 वर्षीय यह व्यक्ति मध्य दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में बिस्तर पर पड़ा हुआ बस यही कह रहा है कि उसकी इस दशा के बारे में उसकी बूढ़ी मां को न बताया जाए, वह बहुत बूढ़ी है, बर्दाश्त नहीं कर पाएगी।

सात सितम्बर को हुए बम विस्फोट में वह बुरी तरह घायल हो गया था। उसके दाहिने पैर की हड्डी कई जगह टूट गई है। पूरे पैर में पट्टी बंधी हुई है। इसके अलावा चेहरे व हाथ पर गहरे जख्म हैं।

वह बोल सकता है, लेकिन सुन नहीं सकता। उसकी आंखों से आंसू लुढ़क कर उसके गाल पर आ जाते हैं। वह बार-बार अपने भाई से कहता है, “कृपया मां से मत कहना मैं यहां हूं।”

पश्चिमी दिल्ली का यह निवासी नहीं चाहता कि उसका नाम प्रकाशित किया जाए। लेकिन वह वाकई में पीड़ित है। पर वह नहीं चाहता कि उसकी इस पीड़ा के बारे में मां को पता चले। छत की ओर ताकते हुए वह कहता है, “मैंने उसे बताया है कि मैं किसी विवाह में फोटोग्राफी के लिए जयपुर गया हूं। वह बहुत बूढ़ी है, बर्दाश्त नहीं कर पाएगी।”

इस पीड़ित छायाकार का संदेश उसके मित्रों और साथियों तक पहुंचा दिया गया है, क्योंकि निषिद्ध इलाके में गिने-चुने लोगों को ही आने की अनुमति है।

जिस एक व्यक्ति की शादी के लिए उसने फोटो खींचे थे, वह उसकी देख-रेख करने वालों में से एक है। वह व्यक्ति उसे एक ऐसे व्यक्ति के रूप में जानता है, जिसने उसके जीवन के खुशनुमा पलों को कैमरे में कैद किया था।

विश्वास (39) ने आईएएनएस से कहा, “आज उसकी जो दशा है, हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि उसे कोई ऐसा काम मिल जाए, जिसे वह घर से कर सके। मैं उसे एक ऐसे व्यक्ति के रूप में जानता हूं जिसने अपना पूरा जीवन अपनी मां के लिए जिया है।”

इस छायाकार को बेहोशी अवस्था में अस्पताल लाया गया था। दिल्ली उच्च न्यायालय के बाहर सात सितंबर को हुए विस्फोट में 13 लोगों की मौत हो गई और 90 घायल हो गए।

इस व्यक्ति का भविष्य फिलहाल अनिश्चित है। दाहिने पैर में कई जगह हड्डियां टूट गई हैं। चिकित्सक कहते हैं कि उसे अपने पैर पर खड़ा होने में कम से कम छह महीने लगेंगे।

यह नौजवान कहता है, “चिकित्सकों ने एक छोटे-से जोड़ के जरिए दाहिने पैर को फिर से जोड़ने की कोशिश की है। पता नहीं क्या होगा अब।” और वह उन डरावने क्षण को याद करने लगता है।

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