नेपाल में सत्ताधारी माओवादी पार्टी के प्रमुख पुष्प कमल दहाल प्रचंड ने सोमवार को अपने सहायक व नए प्रधानमंत्री बाबूराम भट्टराई के पीछे खुलेआम अपनी ताकत झोक दी। प्रचंड ने कहा कि वह अब शांति प्रक्रिया और नए संविधान पर ध्यान केंद्रित करेंगे।
प्रचंड ने कहा कि अगले तीन महीने अग्निपरीक्षा के होंगे और वह न तो दाएं देखेंगे न बाएं, बल्कि नया संविधान तैयार करने पर अपना ध्यान केंद्रित करेंगे।
प्रचंड ने काठमांडू में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में कहा, “नेपाल का प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति या मंत्री बनने में मेरी कोई रुचि नहीं है।” इसके साथ ही उन्होंने भट्टराई के नेतृत्व वाली सरकार का समर्थन करने के लिए जनता से आह्वान किया।
समर्थन का यह प्रदर्शन ऐसे समय में हुआ है, जब एक दिन पहले रविवार को भट्टराई ने अपने मंत्रिमंडल में 13 नए मंत्रियों को शामिल किया है। लेकिन कट्टरपंथी माओवादी नेता मोहन बैद्य ने अपना विरोध बंद करने से इंकार कर दिया है।
बैद्य माओवादियों की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) को भंग किए जाने के खिलाफ हैं। उन्होंने भट्टराई और प्रचंड से मांग की है कि वे पीएलए के शस्त्रागार की चाबियां सरकार को सौंपे जाने का अपना निर्णय रद्द कर दें।
पिछले सप्ताह बैद्य के समर्थकों ने काठमांडू में एक सार्वजनिक प्रदर्शन किया था और अब विरोध प्रदर्शन 18 सितम्बर तक के लिए स्थगित कर दिया गया है, क्योंकि पार्टी नेता उस दिन इस मुद्दे पर एक बार फिर मंथन करेंगे।
इसके अलावा भट्टराई को समर्थन करने वाले सात क्षेत्रीय पार्टियों के एक मोर्चे ने महत्वपूर्ण विभागों की मांग कर कबाब में हड्डी डालने का काम किया है।
इस मोर्चे को 11 मंत्री पद देने का वादा किया गया था। लेकिन लगातार विवाद जारी रहने के कारण इसने सोमवार को मात्र सात मंत्रियों को ही भेजे।
इस बीच मुख्य विपक्षी पार्टी नेपाली कांग्रेस ने कहा है कि शांति प्रक्रिया में तब तक प्रगति नहीं हो सकती, जब तक कि पीएलए को भंग नहीं कर दिया जाता।
भट्टराई और प्रचंड ने सोमवार को नेपाली कांग्रेस के नेता सुशील कोईराला से मुलाकात की और उनसे सरकार में शामिल होने का आग्रह किया।
कोईराला ने यह कहते हुए उनके आग्रह को खारिज कर दिया कि जब तक पीएलए की छावनियां खाली नहीं हो जातीं, तब तक उनकी पार्टी माओवादी सरकार में शामिल नहीं होगी।
इन तमाम विपरीत स्थितियों को देखते हुए यह सवाल उठना लाजिमी है कि 13 मंत्रियों के साथ मंत्रिमंडल का विस्तार भट्टराई के लिए कितना शुभ साबित होगा।
[सुदेशना सरकार]