श्रीनगर ।। कश्मीर घाटी में इस बार शांतिपूर्ण स्थिति को देखते हुए बड़ी संख्या में पर्यटक घाटी की ओर रुख कर रहे हैं। लेकिन सेना का कहना है कि पाकिस्तान की ओर से आतंकवादी अब भी घुसपैठ की कोशिश में हैं।

जम्मू एवं कश्मीर में 1989 में शुरू हुई आतंकवादी गतिविधियों में हजारों लोगों की जान जा चुकी है और पर्यटन को भी खासा नुकसान पहुंचा। लेकिन अब स्थिति अलग है। अलगाववादी हिंसा के बावजूद करीब 4,00,000 पर्यटक घाटी पहुंचे। यह संख्या हर साल अमरनाथ यात्रा के दौरान पहुंचने वाले करीब 6,00,000 श्रद्धालुओं के अतिरिक्त है।

पर्यटन विभाग के एक अधिकारी ने कहा, “इस साल यहां पर्यटकों की उत्साहवर्धक संख्या पहुंची। पर्यटन उद्योग से जुड़े लोगों को इससे लाभ हुआ।”

वर्ष 2009 और 2010 में प्रदर्शन तथा अव्यवस्था के कारण घाटी में शैक्षणिक व्यवस्था और स्थानीय अर्थव्यस्था को भी नुकसान हुआ था, जबकि इस साल घाटी में स्कूल, कॉलेज तथा विश्वविद्यालय सामान्य ढंग से काम करते रहे।

राज्य सचिवालय के एक अधिकारी ने कहा कि पिछले दो साल के दौरान की अस्थिरता को देखते हुए मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने प्रशसन से दो टूक कहा था कि कानून-व्यवस्था बनाए रखने में किसी तरह की कोताही न बरती जाए।

राज्य में शांति व्यवस्था को लेकर अब्दुल्ला की प्रतिबद्धता का अंदाजा हाल ही में ट्विटर पर उनके इस पोस्ट से लगाया जा सकता है, जिसमें उन्होंने लिखा है कि अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी को शांति भंग करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।

उन्हें नजरबंद किए जाने को वाजिब ठहराते हुए अब्दुल्ला ने लिखा, “यदि उन्हें घर में नजरबंद किया गया है तो प्रशासन के इस निर्णय के लिए वह स्वयं जिम्मेदार हैं।”

वहीं, सुरक्षा बलों के शीर्ष अधिकारियों का कहना है कि अलगाववादी आतंकवादी बर्फबारी के कारण आवाजाही बंद होने से पहले घाटी में घुसपैठ की कोशिश में लगे हैं। श्रीनगर में सेना के 15 कॉर्प्स के कमांडिंग ऑफिसर लेफ्टिनेंट जनरल एस. ए. हसनैन के अनुसार, करीब 400 आतंकवादी घुसपैठ की फिराक में हैं।

[शेख कयूम]

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