नई दिल्ली/ढाका ।। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की दो दिनों की ढाका यात्रा के दौरान दोनों देशों ने लम्बे समय के अपने सीमा विवाद को सुलझाने के साथ ही विभिन्न मुद्दों पर करार किए। जबकि तीस्ता नदी जल बंटवारा समझौते पर हस्ताक्षर न होने से उपजी निराशा के बीच विशेषज्ञों ने गुरुवार को कहा कि ‘जो व्यापक करार हुए हैं उस पर ध्यान देना चाहिए।’
प्रधानमंत्री के साथ विदेश मंत्री एस.एम. कृष्णा, असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई, त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक सरकार, मिजोरम के मुख्यमंत्री पू ललथनहावलाऔर मेघालय के मुख्यमंत्री मुकुल संगमा भी ढाका में मौजूद थे जो छह से सात सितम्बर की यात्रा के महत्व को दर्शाता है।
बांग्लादेश में भारत के पूर्व उच्चायुक्त देब मुखर्जी ने आईएएनएस से कहा कि यात्रा के दौरान ‘काफी संख्या में सकारात्मक चीजें हुई हैं’ जबकि रक्षा अध्ययन एवं विश्लेषण संस्थान के अरविंद गुप्ता के मुताबिक दोनों देशों के बीच हुए समझौतों को लम्बी अवधि के लिए देखा जाना चाहिए क्योंकि इस बार ‘महत्वपूर्ण प्रगति’ हुई है।
दोनों देशों ने विकास के लिए सहयोग पर एक ढांचागत करार, सीमा निर्धारण पर एक मसविदे, नेपाल के लिए सड़क मार्ग उपलब्ध कराने और रॉयल बंगाल टाइगर एवं सुंदरवन के संरक्षण के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए।
इनके अलावा दोनों देशों के बीच मत्स्य पालन, ढाका विश्वविद्यालय और जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के बीच सहयोग, दूरदर्शन एवं बांग्लादेश टेलीविजन के बीच सहयोग और दोनों देशों के फैशन प्रौद्योगिकी संस्थाओं के बीच सहयोग पर सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए गए।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के विरोध के चलते दोनों देशों को बीच तीस्ता नदी जल बंटवारा समझौते पर हस्ताक्षर नहीं हो सके।
तीस्ता पर हस्ताक्षर न होने पर मनमोहन सिंह ने बुधवार को अपनी निराशा जाहिर की और अधिकारियों से एक ऐसा फार्मूला बनाने के लिए अपने प्रयास तेज करने को कहा कि जो भारत अथवा बांग्लादेश के लोगों में असंतोष उत्पन्न न करे।
ज्ञात हो कि तीस्ता नदी सिक्किम से अपनी यात्रा शुरू करती है और बांग्लादेश में प्रवेश करने से पहले बंगाल के उत्तरी क्षेत्र से होकर गुजरती है। भारत और बांग्लादेश के बीच 54 नदियां बहती हैं।
गुप्ता ने आईएएनएस से कहा, “दो दिनों की यात्रा को लम्बी अवधि के रूप में देखा जाना चाहिए।” यात्रा को ‘प्रभावी’ बताते हुए उन्होंने कहा कि तीस्ता मुद्दे का हल शीघ्र निकाल लिया जाएगा और ‘इसे एजेंडे में एक मुद्दे के रूप में शामिल नहीं करना चाहिए।’
उन्होंने कहा, “यात्रा के दौरान थोड़ी निराशा हुई..लेकिन यह भी देखना चाहिए कि इस दौरान कितना कुछ किया गया।” गुप्ता ने कहा कि भूमि सीमा मुद्दे का हल निकाल लिया गया जो कि एक बड़ी उपलब्धि है। इसके अलावा व्यापार के क्षेत्र में भी प्रगति हुई है।
[राहुल दास]