प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की मंगलवार को शुरू होने वाली बांग्लादेश की यात्रा से विशेषज्ञों को दोनों देशों के सम्बंधों को एक नया मुकाम मिलने की उम्मीद है।


सिंह की दो दिवसीय यात्रा (6-7 सितम्बर) में उनके साथ देश के पांच पूर्वी राज्यों के मुख्यमंत्री भी होंगे। ये राज्य हैं पश्चिम बंगाल, असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम।


उम्मीद की जा रही है कि दोनों देशों के बीच सीमा से सम्बंधित लम्बित विवादों को सुलझाने के लिए बात हो सकती है।


इसके अलावा दोनों देशों के बीच तीस्ता और फेनी नदियों के जल बंटवारे को लेकर भी वार्ता होने की उम्मीद है। यात्रा में दोनों देशों के बीच बढ़ते व्यापार असंतुलन को दूर करने के लिए भी बात हो सकती है। वर्ष 2010-11 में भारत ने बांग्लादेश को 3.84 अरब डॉलर का निर्यात किया था, जबकि आयात 40.63 करोड़ डॉलर का था।


बांग्लादेश में भारत की पूर्व उच्चायुक्त वीणा सीकरी ने इस यात्रा से दोनों देशों के सम्बंध बेहतर होने की उम्मीद जताई, जबकि विदेश नीति विशेषज्ञ अरविंद गुप्ता ने कहा कि दोनों देशों को आपसी सहयोग के नए रास्ते खोजने चाहिए।


बांग्लादेश के चटगांव विश्वविद्यालय के मुहम्मद फरीदुल आलम ने कहा कि दोनों देशों के नेताओं को सामाजिक संस्थाओं के मुद्दों पर भी ध्यान देना चाहिए।


सीकरी ने कहा कि दोनों देशों के बीच आम लोगों के सम्बंध बढ़ाने पर जोर देने की जरूरत है।


चटगांव विश्वविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय सम्बंध विभाग के अध्यक्ष आलम ने कहा कि इस यात्रा में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर बात होने की सम्भावना है, जैसे, सीमा पर तार लगाना, मोंगला बंदरगाह का इस्तेमाल, बिजली सहयोग और व्यापार।


उन्होंने कहा कि अगली बार इस तरह की शिखर वार्ता से पहले सामाजिक संस्थाओं के भी विचार लिए जाने चाहिए।


इस साल जून में प्रधानमंत्री की इस टिप्पणी से दोनों देशों के बीच खटास की स्थिति आ गई थी कि बांग्लादेश में भारत विरोधी भावनाएं हैं।


माना जा रहा है कि इस यात्रा के बाद दोनों देशों के सम्बंध वापस पटरी पर आ जाएंगे।


[राहुल दास]


 

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