पणजी ।। अभिनेता-फिल्मकार आमिर खान की फिल्म ‘तारे जमीन पर’ ने बच्चों की मानसिक विकृतियों के प्रति समाज का ध्यान खींचा था। इसके बाद ऐसे बच्चों के अभिभावकों की फिल्मकारों से उम्मीदें बढ़ गई हैं। यहां चल रहे भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (इफ्फी) में तीन महिलाएं मानसिक रूप से कमजोर बच्चों से सम्बंधित पटकथाएं और कहानियां लेकर आईं। 

शालिनी गुप्ता, नीना वाग और कुसुम तिवारी तीनों ही बौद्धिक विकलांग बच्चों की माताएं हैं। उन्होंने यहां 62वें इफ्फी समारोह में एक विशेष कार्यशाला का आयोजन किया, जिसमें उन्होंने ऑटिज्म, डाउन सिंड्रोम व सेरिब्रल पाल्सी जैसी मानसिक बीमारी से ग्रस्त बच्चों की जरूरतों के प्रति सामाजिक जागरूकता लाने की कोशिश की।

गुप्ता ने कहा, “हम वास्तविक कहानियां लेकर गोवा आए हैं। हम इच्छुक फिल्मकारों व पटकथा लेखकों से इस पर बात करेंगे। ‘तारे जमीन पर’, ‘पा’ और ‘माई नेम इज खान’ जैसी कई और कहानियां हैं जिन्हें पर्दे पर उतारे जाने की आवश्यकता है।”

ये तीनों महिलाएं दिल्ली के ‘साथ’ समूह की सदस्य हैं। यह मानसिक रूप से विकलांग बच्चों के करीब 250 अभिभावकों का समूह है।

नीना ने बताया, “हमारी मुख्य परेशानी यह है कि बौद्धिक विकलांगता को लेकर जागरूकता की कमी है। जो लोग दृष्टिहीन, बधिर या अन्य प्रकार की शारीरिक विकलांगता से ग्रस्त हैं, वे अपने काम स्वयं कर सकते हैं लेकिन ऑटिज्म जैसी बीमारियों को लेकर लोगों में बहुत कम जागरूकता है।”

उन्होंने कहा कि ‘तारे जमीन पर’ जैसी फिल्में और ‘आपकी अंतरा’ जैसे धारावाहिकों ने समाज तक इस तरह का संदेश पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई है। जागरूकता के अभाव में लोग यह नहीं समझ पाते कि इस तरह के विशेष बच्चों के साथ किस तरह का बर्ताव किया जाए और उन्हें कैसे सिखाया जाए।

नीना ने कहा, “इस तरह की फिल्मों से मदद मिली है। मुझे याद है कि जब हम एक पिकनिक पर जा रहे थे तो एक ग्रामीण हरयाणवी बस कंडक्टर ने मुझसे कहा था कि मैडम, ये ‘तारे जमीन पर’ वाले बच्चे हैं न।”

‘साथ’ ने फिल्म महोत्सव में बौद्धिक विकलांगता वाले बच्चों से सम्बंधित तीन श्रव्य-दृश्य फिल्में पेश कीं। इफ्फी के निदेशक शंकर मोहन का कहना है कि फ्रांसीसी फिल्मकार बरट्रैंड ट्रैवरनीयर की प्रेरणा से नए फिल्मकारों व वृत्तचित्र लेखकों के लिए मानसिक रूप से विकलांग बच्चों के अभिभावकों द्वारा बनाई गई फिल्मों व वृत्तचित्र फिल्मों का विशेष प्रदर्शन शुरू हो सका।

ट्रैवरनीयर को इफ्फी 2011 में लाइफटाइम एचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

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