लखनऊ ।। ‘जोधा अकबर’, ‘दिल्ली-6’, ‘बंटी और बबली’, ‘गजनी’, ‘यमला पगला दीवाना’ जैसी सफलतम फिल्मों के गीतों को अपनी आवाज देने वाले बॉलिवुड पाश्र्व गायक जावेद अली का कहना है कि सूफी संगीत से गाने और सुनने वाले दोनों को सुकून मिलता है। लखनऊ महोत्सव में शिरकत करने आए जावेद ने कहा, “मेरा मानना है कि भले ही कितनी विभिन्नताओं के गीत क्यूं न गा लिए जाएं, लेकिन गाने और सुनने वाले को सूफी संगीत से ही सुकून मिलता है।”

जावेद ने कहा, “मैं व्यक्तिगत रूप से हमेशा सूफी संगीत से जुड़ा रहना चाहता हूं क्योंकि यह मुझे सुकून तो देता ही है साथ ही अच्छी गायकी के लिए प्रेरित भी करता है, जितना सूफी गाता हूं उतना परिपक्व महसूस करता हूं।”

उन्होंने कहा, “सूफी संगीत मेरे दिल के सबसे ज्यादा करीब है, लेकिन यह गायकी की एक विशिष्ट विधा है। मैं हर तरह के गीत गाना चाहता हूं, फिर चाहे वह सूफी गीत हों या शास्त्रीय, फिल्मी, गजल, रीमिक्स ही क्यों न हों।” 

अब तक गाए गीतों में फिल्म ‘जोधा अकबर’ के ‘कहने को जश्न-ए-बहारां..’ को अपना सबसे बेहतर गीत बताते हुए जावेद ने कहा, “वैसे तो कम ही समय में मुझे अलग-अलग तरह के गीतों को गाने को सौभाग्य मिला है, लेकिन ‘जश्न-ए-बहारां..’ एक शानदार गीत है। इसमें एक अलग ही सादगी है। गीतकार जावेद अख्तर साहब ने जितनी कमाल की पंक्तियां लिखी.. उन्हें उतनी ही खूबसूरती से संगीतकार ए. आर. रहमान ने संगीतबद्ध किया है।”

जामे-माने गजल गायक गुलाम अली को अपना प्रेरणास्रोत बताते हुए जावेद ने कहा, “मैं बचपन से ही गुलाम अली जी को सुनता रहा हूं। वह मेरे प्रेरणास्रोत हैं..जब भी वह पाकिस्तान से मुम्बई आते हैं मैं हर बार उनसे मिलने की कोशिश करता हूं। हर बार उनसे बहुत कुछ सीखने को मिलता है।”

जावेद मानते हैं कि संगीत में भी इतनी आधुनिकता और ग्लैमर आ गया है कि जब तक आप दिखेंगे नहीं बिकेंगे नहीं..इसीलिए अब गीतकार, संगीतकार और गायक रिएलिटी कार्यक्रमों का रुख कर रहे हैं।

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