मुम्बई ।। सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर बीते दिनों को याद करती हुई कहती हैं कि शुरुआत में गजल सम्राज जगजीत सिंह की आवाज को फिल्मी हीरो के योग्य नहीं माना जाता था लेकिन बाद में बॉलीवुड के बाहर मिली सफलता ने उन्हें फिल्मों में भी लोकप्रिय बना दिया।

लता ने जगजीत के सम्बंध में पहली बार तब सुना था, जब वह संगीतकार मदन मोहन के साथ अपनी एक गजल रिकॉर्ड कर रही थीं।

लता ने बताया, “मैंने मदन से कहा कि वह इस नए गायक को अपने लिए क्यों नहीं गवाते हैं। उस समय कहीं न कहीं ऐसा लगता था कि जगजीत की आवाज फिल्मी हीरो पर नहीं फबेगी।”

उन्होंने कहा, “जब मैंने उनकी आवाज सुनी तो मैं मुग्ध हो गई थी। मैं अक्सर संगीतकारों से उनकी सुरीली आवाज की चर्चा करती थी लेकिन मेरा अनुमान था कि उन्हें फिल्मों के बाहर लोकप्रियता मिलनी है। बाद मैं इस धारणा में बदलाव आया। समय बीतने के साथ उनकी आवाज घर-घर में पहचानी जाने लगी और उन्होंने कई फिल्मी हीरो के लिए गाया।”

लता को जगजीत की एक गजल इतनी पसंद आई कि उन्होंने उनकी एलबम ही खरीद ली थी। उन्होंने बताया, “यह ‘सरकती जाए है रुख से नकाब आहिस्ता आहिस्ता’ गजल थी। यह हमेशा मेरे दिमाग पर छाई रहती थी। मैंने इसे सुनने के लिए ‘द अनफॉरगेटेबल्स’ एलबम खरीदी।”

साल 1991 में लता ने जगजीत के साथ अपनी ऐतिहासिक एलबम ‘सजदा’ रिकॉर्ड की।

लता ने बताया, “शुरुआत में ‘सजदा’ में मेरे गीत और जगजीत के संगीत की बात थी। मैंने उन्हें कहा कि मैं चाहती हूं कि इस एलबम में वह भी गाएं। इस तरह मुझे मैं जो आवाज बरसों से पसंद करती थी उसके साथ गाने का मौका मिला। मैं इस मौके को ऐसे ही नहीं निकलने देना चाहती थी।”

गजल सम्राट जगजीत का सोमवार को मस्तिष्काघात से लीलावती अस्पताल में निधन हो गया था। वह 70 साल के थे।

 

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