मुम्बई ।। फिल्मकार संजय लीला भंसाली सिनेमा की दुनिया की नई पीढ़ी का हिस्सा बनना चाहते हैं। यही वजह है कि उनकी दो नई फिल्में ‘रॉडी राठोर’ और ‘माई फ्रेंड पिंटो’ उनकी पुरानी फिल्मों से अलग होंगी। वह बॉलीवुड के नए व युवा विचारकों के बीच अपनी जगह बनाना चाहते हैं।

भंसाली ने कहा, “मैं बहुत सी नई चीजें करना चाहता हूं। मैं इस नई पीढ़ी का हिस्सा बनना चाहता हूं, जो सिनेमा के बारे में अलग तरह से सोचती है। कुछ ऐसे फिल्मकार हैं जो इन दिनों अच्छा काम कर रहे हैं। हर व्यक्ति को सिनेमा के नए विचार मिल रहे हैं। हर कोई फिल्मों को अलग तरह से देख रहा है। नए लोगों के सम्पर्क में रहना बहुत रोचक है।”

उनकी तीन नई फिल्में बताती हैं कि वह नई चीजों पर अपने हाथ आजमाना चाहते हैं।

अभिनेता अक्षय कुमार की मुख्य भूमिका वाली ‘रॉडी राठोर’ मारधाड़ से भरपूर फिल्म है। बोमन ईरानी व फरहा खान के अभिनय वाली ‘शिरिन फरहद’ एक यहूदी जोड़े की प्रेम कहानी है और 14 अक्टूबर को प्रदर्शित होने जा रही ‘माई फ्रेंड पिंटो’ एक हास्यप्रधान फिल्म है।

जब भंसाली से पूछा गया कि एक निर्देशक होते हुए सिर्फ फिल्मों का निर्माण करना उनके लिए कितना आसान था तो उन्होंने कहा, “मैं बहुत स्वार्थी निर्देशक हूं। मेरे अंदर का निर्देशक हमेशा बहुत सक्रिय रहता है।”

उन्होंने कहा, “जब मैं पटकथाएं सुन रहा था तो सोच रहा था कि मैं खुद निर्देशन क्यों नहीं कर रहा हूं। जब मैंने निर्माण का फैसला लिए तो मुझे इसके लिए सचेत प्रयास करना पड़ा कि मैं दखल न दूं। इसलिए मैंने ऐसी पटकथाएं चुनीं जो मेरी शैली की नहीं थी ताकी मैं दूर से उन पर नजर रख सकूं और उनके बारे में अपना मार्गदर्शन दे सकूं।”

अब भंसाली को अपनी फिल्म ‘माई फ्रेंड पिंटो’ के प्रदर्शन का इंतजार है। राघव डार ने इसका निर्देशन किया है और प्रतीक व काल्की कोचलीन ने मुख्य भूमिकाएं निभाई हैं।

भंसाली ‘हम दिल दे चुके सनम’, ‘देवदास’, ‘ब्लैक’ व ‘गुजारिश’ जैसी फिल्मों का निर्देशन कर चुके हैं।

Rate this post

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here