नई दिल्ली ।। चिल्ड्रेन फिल्म सोसायटी की अध्यक्ष बॉलिवुड अभिनेत्री नंदिता दास ने कहा कि विदेशों की तुलना में भारत में बच्चों पर आधारित फिल्में नहीं बनती हैं। इसके लिए उन्होंने फिल्म उद्योग में व्याप्त फायदे की नीति को कोसा।

नंदिता ने बताया, “हमारे देश में ढेर सारी तथा-कथित पारिवारिक फिल्मों ने बच्चों की फिल्मों को चलन से बाहर कर दिया है। दुर्भाग्य से अर्थव्यवस्था हमेशा कला की राह में रोड़ा बनता है। हर निर्णय धन से संचालित होता है। फिल्म निर्माताओं को बहुत अधिक पैसे की मांग रहती है।”

“यद्यपि अधिकतर पारिवारिक फिल्में बच्चों की फिल्मों की तरह होती हैं लेकिन उन्हें पारिवारिक फिल्म कहा जाता है क्योंकि उनमें कुछ चीजें बच्चों के लिए और कुछ बुजुर्गो के लिए डाल दी जाती हैं। इस तरह एक पारिवारिक फिल्म का पैकेज तैयार किया जाता है। यह वास्तव में दुखद है।”

राजधानी में सीरी फोर्ट सभागार में 20 से 22 अक्टूबर के बीच चिल्ड्रेन फिल्म सोसायटी द्वारा आयोजित किए जा रहे बाल फिल्म महोत्सव का उद्घाटन करने के लिए नंदिता यहां आईं।

फिल्म महोत्सव में ‘क्रिस, त्रिस एंड बाल्टीब्यायज’, ‘लिल्की’, ‘चुटकन की महाभारत’, ‘करामाती गोट’, ‘हालो’, ‘सनशाइन बैरी एंड डिस्को वार्म्स’, ‘ये है छक्कड़ बक्कड़ बुम्बे बू’ और ‘चरन दास चोर’ जैसी फिल्में दिखाई जाएंगी।

‘1947 अर्थ’, ‘बवंडर’, ‘अक्स’ और ‘आई एम’ जैसी फिल्मों में काम कर चुकीं नंदिता ने कहा, “हमने केवल इस तरह की आठ फिल्मों का चयन इसलिए किया है क्योंकि यह एक छोटा फिल्म महोत्सव है और इस तीन दिनों के दौरान हम बच्चों को विविध फिल्मों से परिचित कराना चाहते थे। हम रोजाना फिल्में भी दिखाते हैं इसके लिए बच्चों से हमें सराहनीय प्रतिपुष्टि मिल रही है।”

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