नई दिल्ली ।। मौजूदा वित्त वर्ष की पिछली दो तिमाही में कम आर्थिक विकास दर के बावजूद योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया इसे मजबूती देने के लिए अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि की जरूरत महसूस नहीं करते। हिन्दुस्तान टाइम्स लीडरशिप सम्मेलन में शुक्रवार को अहलूवालिया ने कहा, “मैं नहीं समझता कि विकास दर में गिरावट प्रोत्साहन राशि की कमी की वजह से है। ऐसे में प्रोत्साहन राशि का मामला कहां बनता है?”
उन्होंने कहा कि प्रोत्साहन राशि का मामला नहीं बनता, क्योंकि राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 4.6 प्रतिशत रहने की उम्मीद है।
उन्होंने कहा, “राजकोषीय घाटा बजटीय अनुमान से अधिक रह सकता है, लेकिन इसके वास्तविक प्रभाव के बारे में हम नहीं जानते। यह कितना अधिक हो सकता है, इस बारे में मैं नहीं कह सकता, लेकिन यह सम्भवत: 4.6 प्रतिशत रह सकता है।”
वित्त वर्ष 2011-12 में औसत विकास दर 7.3 प्रतिशत रिकॉर्ड की गई है। जुलाई-सितम्बर के बीच दूसरी तिमाही में आर्थिक विकास दर 6.9 प्रतिशत रिकॉर्ड की गई, जबकि पहली तिमाही में यह 7.7 प्रतिशत थी।
वर्ष 2008-09 में वैश्विक आर्थिक मंदी के दौरान अर्थव्यवस्था के विकास को गति देने के लिए सरकार ने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 12 प्रतिशत प्रोत्साहन राशि जारी की थी।