नई दिल्ली ।। मोबाइल नम्बर पोर्टेबिलिटी (एमएनपी) सेवा के शुरू हुए लगभग एक साल होने को आए हैं, लेकिन मुश्किल से दो फीसदी से अधिक उपभोक्ताओं ने ही अब तक इसका इस्तेमाल किया है।

एमएनपी सेवा के तहत किसी मोबाइल सेवा प्रदाता कम्पनी की सेवा से असंतुष्ट उपभोक्ता बिना अपना नम्बर बदले पुरानी कम्पनी की सेवा त्याग कर नई कम्पनी की सेवा ले सकते हैं।

वोडाफोन इंडिया के रणनीति निदेशक समरेश बरुआ ने कहा, “एमएनपी के कम इस्तेमाल का एक महत्वपूर्ण कारण यह है कि 95 फीसदी उपभोक्ता प्रीपेड श्रेणी में आते हैं। इस श्रेणी में लगभग चार से पांच फीसदी उपभोक्ता हर माह अपना नम्बर बदल लेते हैं। यानी ये उपभोक्ता पुराने नम्बर को रखने के लिए उतने गम्भीर नहीं हैं।”

विशेषज्ञों का हालांकि कहना है कि फॉर्म भरने से लेकर बकाए के भुगतान और पुरानी कम्पनी से अनापत्ति प्रमाणपत्र लेने जैसी कई बाधाओं के कारण एमएनपी के लिए कम आवेदन हुए हैं।

इसी साल 20 जनवरी को पूरे देश में एमएनपी सेवा लागू की गई थी और माना गया था कि इससे दूरसंचार उद्योग में काफी बदलाव आएगा। लेकिन एक साल होने के बावजूद बदलाव की कोई साफ तस्वीर दिखाई नहीं पड़ रही है।

एमएनपी सेवा का सबसे अधिक लाभ हालांकि आईडिया सेल्युलर को हुआ।

भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण के मुताबिक इस अवधि में एमएनपी सेवा के जरिए कुल 15.7 लाख उपभोक्ताओं ने आईडिया की सेवा हासिल की, जबकि कुल 12 लाख उपभोक्ताओं ने वोडाफोन और कुल तीन लाख उपभोक्ताओं ने भारती एयरटेल की सेवा हासिल की।

विशेषज्ञों का मानना है कि राष्ट्रीय दूरसंचार नीति के मसौदे में प्रस्तावित अंतर सर्किल रोमिंग हटाने तथा एमएनपी को पूरे देश में सभी सर्किलों के लिए लागू करने के बाद एमएनपी सेवा का अधिक इस्तेमाल होने लगेगा।

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