कान ।। यूरोजोन संकट सुलझाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) को एक प्रमुख मंच के रूप में देखा जा रहा है। ऐसे में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सहित जी-20 के नेताओं ने वैश्विक बाजारों में शांति लाने के लिए आईएमएफ को अधिक कोष उपलब्ध कराने की वकालत की है।

ब्रिक्स समूह के तहत आने वाले ब्राजील, रूस, चीन और दक्षिण अफ्रीका के नेताओं के साथ बैठक में और जी-20 की बैठक में, दोनों जगह मनमोहन सिंह ने कहा है कि आईएमएफ निगरानी और वित्तीय मदद के लिए एक सही मंच है।

ऐसे ही विचार नेताओं ने शुक्रवार को उस समय भी व्यक्त किए, जब वे जी-20 शिखर सम्मेलन के दूसरे दिन वित्तीय नियमन पर कार्यकारी सत्र के लिए उस स्थल पर जमा हुए, जहां प्रसिद्ध कान फिल्म समारोह आयोजित किया जाता है।

प्रधानमंत्री ने अपनी टिप्पणी में कहा, “हम इस बात का जोरदार समर्थन करते हैं कि आईएमएफ यूरोप में स्थिरता बहाल करने के लिए अपनी भूमिका निभाए।” सिंह ने इस बात को भी रेखांकित किया कि आईएमएफ को चाहिए कि वह विकासशील देशों को भी कोष की कमी न पड़ने दे।

प्रधानमंत्री ने कहा, “आईएमएफ को क्षेत्रीय निगरानी के हिस्से के रूप में स्थिति पर कड़ी नजर रखनी चाहिए। जरूरत पड़ने पर आईएमएफ को एक उचित तरीके की मदद के लिए भी तैयार रहना चाहिए।”

सिंह ने कहा, “बहुपक्षीय विकास बैंक वैश्विक बचत जुटाने और उसे निवेश करने में एक प्रमुख भूमिका निभाते हैं। लिहाजा जी-20 को चाहिए कि वह इन संस्थानों के लिए महत्वाकांक्षा का स्तर बढ़ाए, ताकि वे अपनी उस रूपांतरकारी भूमिका को निभा सकें, जिसे उन्होंने युद्धोतर काल में निभाई थी।”

योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने भी यहां संवाददाताओं से बातचतीत में कहा कि यदि यूरोजोन संकट के लिए इस्तेमाल किया गया, तो आईएमएफ द्वारा फिलहाल उपलब्ध 250 अरब डॉलर की धनराशि पर्याप्त नहीं हो सकती।

वास्तव में वैश्विक शक्ति में बदलाव का संकेत देने वाले एक नाटकीय घटनाक्रम के तहत यूरोप की पारम्परिक रूप से विकसित अर्थव्यवस्थाएं अब यह उम्मीद कर रही हैं कि भारत और चीन कोष उपलब्ध कराएं, क्योंकि अमेरिका की स्थिति भिन्न है।

आस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री जूलिया गिलार्ड ने गुरुवार देर शाम कहा था, “जी-20 के नेताओं में एक व्यापक धारणा है कि आईएमएफ को अतिरिक्त संसाधनों की आवश्यकता है। “

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