कान ।। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शुक्रवार को कहा कि खाद्य पदार्थो में जारी महंगाई निश्चय ही एक समस्या है लेकिन साथ ही उन्होंने कहा कि अनाजों के दामों में अपेक्षाकृत स्थिरता है। इसके साथ ही उन्होंने पेट्रोल के विनियंत्रण के फैसले को वापस लेने से इंकार कर दिया।

फ्रांस के शहर कान में जी20 सम्मेलन में हिस्सा लेने आए प्रधानमंत्री ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, “खाद्य पदार्थो में सब्जियां, अंडे, मछलियां आदि के दाम बढ़ रहे हैं जो कि द्वितीयक या तीसरे दर्जे के भोज्य पदार्थ हैं। ये इन पदार्थो की आपूर्ति से अधिक मांग की ओर इशारा करती हैं।”

उन्होंने कहा, “यह हमारे देश में एक हद तक बढ़ती समृद्धि का द्योतक है। अगर हमारी राष्ट्रीय आय सालाना आठ फीसदी की दर से बढ़ रही है और हमारी जनसंख्या 1.6 फीसदी की दर से बढ़ रही है तो ऐसे में प्रति व्यक्ति आय 6-6.5 फीसदी की दर से बढ़ रही है।”

जब उनसे पूछा गया कि स्वदेश लौटने पर पेट्रोल मूल्यवृद्धि का किए जा रहे विरोध पर उनकी प्रतिक्रिया क्या होगी, इस पर उन्होंने कहा कि पेट्रोल के विनियंत्रण का फैसला एक प्रक्रिया के तहत लिया गया ताकि बाजार में उचित दर पर इसे मुहैया कराया जा सके।

उल्लेखनीय है कि तेल विक्रेता कम्पनियों ने गुरुवार शाम को पेट्रोल की कीमत में 1.80 रुपये प्रति लीटर वृद्धि घोषणा की थी। बढ़ी हुई कीमत गुरुवार आधी रात से लागू हो गईं।

तेल कम्पनियों को पेट्रोल मूल्य वृद्धि की अनुमति देने के बाद रक्षात्मक मुद्रा में आई सरकार ने शुक्रवार को कहा कि कच्चे तेल के मूल्यों में वृद्धि एवं रुपये में गिरावट के कारण सरकारी कम्पनियों के सामने मूल्य वृद्धि के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था।

मंत्रालय ने कहा कि 25 जून को कीमतों में वृद्धि के बावजूद तेल कम्पनियों को डीजल पर 8.58 रुपये प्रति लीटर, किरोसिन पर 25.66 रुपये प्रति लीटर एवं रसोई गैस के प्रति सिलेंडर पर 260.50 रुपये का नुकसान हो रहा है।

मंत्रालय ने कहा, “सरकारी तेल कम्पनियों को पिछले वर्ष के 78,190 करोड़ रुपये की तुलना में इस वर्ष 1,32,000 करोड़ रुपये का घाटा होने की उम्मीद है।”

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