नई दिल्ली ।। खनन और विनिर्माण क्षेत्र में मंदी के कारण देश के औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर सितम्बर में गिर कर 1.9 प्रतिशत पर आ गई। शुक्रवार को जारी ताजा सरकारी आंकड़ों के अनुसार सितम्बर में समाप्त हुई तिमाही में औद्योगिक उत्पादन की स्थिति कमजोर रही है। भारतीय कारपोरेट जगत ने इसके लिए ब्याज दरों में हुई वृद्धि और वैश्विक अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता के कारण निवेश में आई मंदी को जिम्मेदार बताया है।

उल्लेखनीय है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा मुख्य दरों में लगातार की गई वृद्धि के कारण ब्याज दरें बढ़ी हैं। 

औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) के पैमाने पर कारखाना उत्पादन की वृद्धि दर में जुलाई में केवल 3.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई थी, और उसके बाद अगस्त में यह 4.1 प्रतिशत पर पहुंच गई थी। 

केंद्रीय सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी आकड़ों के अनुसार, मौजूदा वित्त वर्ष की प्रथम छमाही में आईआईपी में, पिछले वित्त वर्ष के अप्रैल-सितम्बर की अवधि के दौरान रही 8.2 प्रतिशत वृद्धि दर के मुकाबले पांच प्रतिशत ही वृद्धि हुई है।

सितम्बर में खनन उत्पादन में 5.6 प्रतिशत की गिरावट आई है, जबकि 2011-12 की प्रथम छमाही में इस क्षेत्र के कुल उत्पादन में एक प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। 

आईआईपी में सर्वाधिक हिस्सेदारी रखने वाले विनिर्माण क्षेत्र के उत्पादन में सितम्बर में 2.1 प्रतिशत की कमजोर वृद्धि दर थी जबकि विद्युत उत्पादन में इस समीक्षाधीन महीने के दौरान नौ प्रतिशत की अच्छी वृद्धि दर दर्ज की गई। 

अप्रैल-सितम्बर की अवधि के दौरान विनिर्माण क्षेत्र की संचयी वृद्धि दर 5.4 प्रतिशत रही। आईआईपी में विनिर्माण क्षेत्र, तीन-चौथाई की हिस्सेदारी रखता है।

सितम्बर में 22 औद्योगिक समूहों में से 15 समूहों ने सकारात्मक वृद्धि दर्ज कराई है। यद्यपि आरबीआई ने पिछली दर वृद्धि में संकेत दिया था कि यदि महंगाई दिसम्बर से नीचे आने लगी तो वह दरों में और वृद्धि नहीं करेगा, लेकिन औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर में इस गिरावट से भी आरबीआई पर इस बात के लिए दबाव बन सकता है कि वह दरों में फिलहाल और वृद्धि न करे। खाद्यान्न महंगाई, हालांकि अभी भी दहाई के पार बनी हुई है, जिसे लेकर सरकार में चिंता का माहौल है।

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