नई दिल्ली ।। खनन में गिरावट और विनिर्माण क्षेत्र में खराब प्रदर्शन के कारण अगस्त में देश के औद्योगिक उत्पादन में 4.1 प्रतिशत की धीमी वृद्धि दर दर्ज की गई है। यह जानकारी बुधवार को आधिकारिक आकड़े से सामने आई है।

पिछले दो महीनों से औद्योगिक उत्पादन की रफ्तार मंद बनी हुई है। यह स्थिति चालू वित्त वर्ष के लिए अनुमानित आठ प्रतिशत विकास दर हासिल करने को कठिन बना देगी। जुलाई में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर गिरकर 3.8 प्रतिशत पर आ गई थी। दो वर्षो के दौरान यह सबसे धीमी वृद्धि दर थी।

सांख्यिकी एवं योजना क्रियान्वयन मंत्रालय की ओर से जारी आकड़े के अनुसार, औद्योगिक उत्पादन सूचकांक के पैमाने पर, कारखानों के उत्पादन में वृद्धि दर अप्रैल से अगस्त की अवधि के दौरान 5.6 प्रतिशत रही।

खनन उत्पादन में अगस्त में 3.4 प्रतिशत की गिरावट आई और चालू वित्त वर्ष के प्रथम पांच महीनों के दौरान मात्र 0.2 प्रतिशत की संचयी वृद्धि दर दर्ज की गई।

विनिर्माण क्षेत्र में अगस्त में 4.5 प्रतिशत की सुस्त वृद्धि दर रही। जबकि विद्युत उत्पादन में समीक्षाधीन महीने के दौरान 9.5 प्रतिशत की अच्छी वृद्धि दर दर्ज की गई।

औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में तीन-चौथाई से अधिक की हिस्सेदारी रखने वाले विनिर्माण क्षेत्र ने अप्रैल से अगस्त तक की अवधि के दौरान छह प्रतिशत की संचयी वृद्धि दर दर्ज कराई है।

विनिर्माण क्षेत्र के 22 औद्योगिक समूहों में से आधे समूहों ने समीक्षाधीन महीने में सकारात्मक वृद्धि दर्ज कराई है, जबकि 10 समूहों ने नकारात्मक वृद्धि दर्ज कराई है और एक समूह ने अपनी वृद्धि दर अपरिवर्तित बताई है।

औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर में सुस्ती, इंडिया इंक के उस तर्क को बल प्रदान करेगी, जिसमें यह कहा जाता रहा है कि भारतीय रिजर्व बैंक की दरों में हो रही लगातार वृद्धि से वृद्धि दर प्रभावित हो रही है। आरबीआई ने महंगाई रोकने के लिए 2010 से अब तक प्रमुख नीति दरों में 12वीं बार वृद्धि की है।

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