नई दिल्ली ।। संयुक्त राष्ट्र व्यापार एवं विकास सम्मेलन [यूएनसीटीएडी] ने मंगलवार को एक रपट में कहा है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुस्ती के कारण 2011 में भारत में आर्थिक विकास की दर पिछले वर्ष के 8.6 प्रतिशत के मुकाबले गिर कर 8.1 प्रतिशत हो सकती है।

यूएनसीटीएडी की रपट के अनुसार, मौजूदा वर्ष में वैश्विक स्तर पर आर्थिक वृद्धि की दर 2010 के 3.9 प्रतिशत के मुकाबले गिरकर 3.1 प्रतिशत पर आने का अनुमान है।

अमेरिका में आर्थिक विकास की दर 2011 में 2.3 प्रतिशत होने का अनुमान है, जबकि 2010 में अमेरिकी अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 2.9 प्रतिशत थी।

यूएनसीटीएडी की व्यापार एवं विकास रपट-2011 बताती है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था बुरी स्थिति में है और 2010 में सुधार के बाद 2011 में इसकी रफ्तार मंद पड़ रही है।

यद्यपि आर्थिक सुस्ती, विकसित और विकासशील देशों को समान रूप से प्रभावित करेगी, लेकिन विकासशील अर्थव्यवस्थाओं की वृद्धि दर विकसित अर्थव्यस्थाओं [लगभग 1.8 प्रतिशत] के मुकाबले काफी उच्च दर पर 6.3 प्रतिशत के आसपास बनी रहेगी।

रपट में कहा गया है कि भारत जैसे विकासशील देशों में मजबूत घरेलू मांग के कारण वृद्धि दर उच्चस्तर पर बनी रहेगी। विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में जहां वृद्धि दर छह प्रतिशत से अधिक रहने का अनुमान है, वहीं विकसित देशों में वृद्धि दर 1.5 प्रतिशत से दो प्रतिशत तक बनी रहेगी।

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र की प्रोफेसर और अर्थशास्त्री, जयति घोष ने कहा,”भारत जैसे विकासशील देश बेहतर स्थिति में हैं, लेकिन वैश्विक अर्थव्यवस्था की स्थिति अच्छी नहीं है।”

घोष ने व्यापक एवं चुस्त वित्तीय नियमन जैसे उपायों का सुझाव दिया और विनिमय दरों के नियंत्रण पर जोर दिया। घोष के अनुसार, वित्तीय ढील वैश्विक संकट का एक मुख्य कारण था।

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