बीजिंग: आखिर क्यों चीन भारत से दोस्ती बढ़ा रहा है, दरअसल भारत और चीन के बीच अपने बाजारों को और खोलने के साथ द्विपक्षीय निवेश सहयोग बढ़ाने को लेकर सहमति बनी है। दोनों देशों के बीच पहली व्यापक रणनीतिक, आर्थिक वार्ता एसईडी सोमवार को संपन्न हुई। 

योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह आहलूवालिया और चीन के राष्ट्रीय विकास और सुधार आयोग के चेयरमैन ज्यांग पिंग ने मुलाकात की। इन दिनों चीन भारत के करीब आने की कोशिश में जुटा हुआ है।

भारतीय अधिकारियों ने बताया कि बातचीत काफी सकारात्मक रही। दोनों देशों ने विभिन्न आर्थिक मुद्दों पर सहयोग बढ़ाने को लेकर सहमति जताई। दोनों पक्षों ने अपने बाजारों को खोलने और निवेश का माहौल सुधारने पर भी जोर दिया। 

इसके साथ ही भारत-चीन ऊर्जा दक्षता के साथ पर्यावरण संरक्षण में भी सहयोग बढ़ाने पर राजी हुए हैं। पिंग ने कहा कि दोनों देशों के सामने विकास को लेकर एक जैसी चुनौतियां सामने आ रही हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि एसईडी से भारत और चीन के बीच तालमेल तथा भरोसा बढ़ाने में मदद मिलेगी। 

पिंग ने कहा कि दोनों देश एक दूसरे की ताक त और अनुभवों का अपने लाभ के लिए फायदा उठा सकते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा कर हम न केवल विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग बढ़ा सकते हैं, बल्कि अपनी समस्याओं का एक समान हल ढूंढ सकते हैं।

भारत ने चीन से कहा कि वह ब्रह्मपुत्र तथा सतलज नदियों से जुड़े डेटा की हिस्सेदारी के लिए सहयोग और मजबूत करे। ये दोनों नदियां तिब्बत से निकलती हैं और भारत के मैदानी भागों में सिंचाई का एक बड़ा स्रोत हैं। 

योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह आहलूवालिया ने तिब्बत से निकलने वाली नदियों पर सहयोग बढ़ाने में भारत की रुचि के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि मैं इस अवसर पर चीन द्बारा बाढ़ के समय ब्रह्मपुत्र तथा सतलज नदियों के बारे में हाइड्रोलॉजिकल डेटा उपलब्ध कराने के लिए चीन सरकार की सराहना करना चाहूंगा। उन्होंने कहा कि सहयोग की इस परंपरा को आगे बढ़ाना अच्छा रहेगा। यह ऐसा मुद्दा होना चाहिए जो कि हमें बांधे, न कि बांटे।

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