कोलकाता ।। देश में स्वच्छ प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिए यूरोपियन बिजनेस एंड टेक्नोलॉजी केंद्र (ईबीटीसी) की मदद से 30 परियोजनाएं शुरू की जाएंगी।

ईबीटीसी के निदेशक पी.वी. जेंसन ने गुरुवार को बंगाल चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, “निकट भविष्य में शुरू किए जाने के लिए 25 से 30 परियोजनाओं पर विचार चल रहा है।” ईबीटीसी की स्थापना यूरोपीय संघ ने की है। इसका मकसद भारत में स्वच्छ प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देना है।

उन्होंने कहा, “ये भारत-यूरोपीय परियोजनाएं जैव प्रौद्योगिकी, ऊर्जा, पर्यावरण और परिवहन के क्षेत्र में होंगी। पांच परियोजनाएं मंजूर की जा चुकी हैं और इन्हें जल्द ही शुरू किया जाएगा।”

स्वच्छ ऊर्जा के अंतर्गत मुख्यत: पुन: चक्रण, अक्षय ऊर्जा, सूचना प्रौद्योगिकी आते हैं।

ईबीटीसी भारत और यूरोप के कारोबारी, विज्ञान और शोधार्थी समुदाय को स्वच्छ प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण में रोजगार के नए अवसर पैदा करने के लिए सहयोग करती है।

ईबीटीसी परियोजनाओं के लिए भारत ही क्यों? यह सवाल पूछे जाने पर जेंसन ने कहा कि यहां जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने की मजबूत इच्छाशक्ति है, साथ ही यूरोपीय संघ की अभिरुचि के चार विषयों में यहां बहुत अधिक अवसर हैं।

इस मौके पर कोलकाता की कारोबारी कम्पनी हरी मशींस लिमिटेड और पोलैंड की रफाको के बीच एक सहमति समझौते पर हस्ताक्षर हुए। इसके तहत सर्कुलेटिंग फ्लूडाइज्ड बेड ब्वॉयल की अदायगी की जाएगी। परियोजना में 60 करोड़ रुपये की लागत आएगी और इसमें 200 ब्वॉयलर का उत्पादन होगा, जिसमें से प्रत्येक 100 मेगावाट क्षमता का होगा।

जेंसन ने कहा कि यदि भारत में परियोजनाएं सफल रहती हैं, तो ऐसे ही प्रयास एशिया के कुछ और देशों में भी किए जाएंगे।

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