मुम्बई ।। सार्वजनिक क्षेत्र की विमानन कम्पनी एयर इंडिया ने बुधवार को पायलटों के एक असंतुष्ट खेमे को हड़ताल करने और इस्तीफा देने से रोकने के लिए बोइंग 787 ड्रीमलाइनर विमानों को उड़ाने का प्रशिक्षण कार्यक्रम एक माह के लिए टाल दिया।

एयर इंडिया के एक अधिकारी ने कहा, “हमने प्रशिक्षण कार्यक्रम को एक माह के लिए आगे बढ़ा दिया है। अब सिंगापुर में होने वाला पहले बैच का प्रशिक्षण नवम्बर की जगह दिसम्बर में होगा।”

विमानन कम्पनी ने बम्बई उच्च न्यायालय को भी सूचित किया कि गुरुवार से शुरू होने वाले प्रशिक्षण को टाल दिया गया है।

अधिकारी के मुताबिक इस बीच कम्पनी पायलटों के मुद्दों को सुलझाने की कोशिश करेगी।

अधिकारी के अनुसार, एयर इंडिया की कम लागत वाली अंतर्राष्ट्रीय सहयोगी इकाई, एयर इंडिया एक्सप्रेस और आईपीजी के प्रतिनिधियों के बीच कम्पनी मुख्यालय में बुधवार को बातचीत आयोजित की गई।

बहरहाल, यह स्थिति तब सामने आई है, जब आईपीजी से सम्बद्ध 100 पायलटों ने ड्रीमलाइनर उड़ाने से सम्बंधित प्रशिक्षण को लेकर प्रबंधन द्वारा किए जा रहे कथित भेदभाव को लेकर इस्तीफे की चेतावनी दे दी।

इसके पहले मंगलवार को एयर इंडिया के औद्योगिक सम्बंधों की कार्यकारी निदेशक विनीता भंडारी और आईपीजी के बीच इस मुद्दे पर गतिरोध तोड़ने के लिए हुई बातचीत असफल रही थी।

यह संकट तक शुरू हुआ, जब आईपीजी से 32 और पूर्व के इंडियन एयरलाइंस से सम्बद्ध, इंडियन कॉमर्सियल पायलट्स एसोसिएशन (आईसीपीए) से 32 पायलटों को बोइंग 787 के प्रशिक्षण के लिए चुना गया।

एयर इंडिया के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक रोहित नंदन को 29 अक्टूबर को भेजे एक पत्र में कहा गया है, “हम कई वर्षो से काम कर रहे एयर इंडिया के वफादार पायलट, प्रबंधन के पक्षपातपूर्ण निर्णय से ठगा हुआ महसूस करते हैं। इससे हमारे करियर की प्रगति पूरी तरह रुक जाएगी।”

पत्र में उन पायलटों के इस्तीफों के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र मांगा गया है, जिन्हें प्रशिक्षण के लिए चयनित नहीं किया गया है। इस विमान को दिसम्बर में बेड़े में शामिल किया जाना है।

आईपीजी के पत्र में आईसीपीए और प्रबंधन के बीच एक साजिश का दावा किया गया है। कहा गया है साजिश के तहत आईपीजी के कुछ पायलटों को एयर इंडिया एक्सप्रेस में स्थानांतरित कर पायलटों की एक कृत्रिम कमी पैदा की जाने वाली है। आईसीपीए से 1,400 पायलट सम्बद्ध हैं।

पत्र की प्रतियां केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री वायलार रवि, केंद्रीय नागरिक उड्डयन सचिव नसीम जैदी और क्षेत्रीय श्रम आयुक्त, मुम्बई को भी भेजी गईं।

दूसरी ओर आईसीपीए ने आईपीजी के इस कदम पर सवाल खड़ा किया है। आईसीपीए के एक अधिकारी ने सवालिया लहजे में कहा, “यह कैसे हो सकता है कि यदि आईसीपीए के पायलटों को उड़ान की अनुमति दी गई, तो आईपीजी के पायलटों का करियर प्रभावित होगा।”

 

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