सिडनी ।। ‘द फेडशन ऑफ इंटरनेशनल क्रिकेटर्स एसोसिएशन’ (फिका) ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) की भ्रष्टाचार निरोधी इकाई (एसीयू) के पूर्व प्रमुख सर पॉल कोनडोन के उन दावों को सिरे से खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि 1980 और 90 के दशक में मैच फिक्सिंग अपने चरम पर था। एक ब्रिटिश समाचार पत्र को दिए गए इंटरव्यू में कोनडोन ने कहा था कि ‘हर टीम किसी ना किसी स्तर पर मैच फिक्सिंग या स्पॉट फिक्सिंग में लिप्त रही है।’ कोनडोन के इस बयान के बाद अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट बिरादरी में सनसनी फैल गई थी।

समाचार पत्र ‘सिडनी मार्निग हेराल्ड’ के मुताबिक फिका के अध्यक्ष टिम मे ने कोनडोन के इस बयान को हास्यास्पद करार दिया है। मे के मुताबिक अगर कोई इस तरह के आरोप पूरी क्रिकेट बिरादरी पर लगाता है तो उसे खुलकर उन लोगों के नाम लेने चाहिए, जो इस तरह के काम में लिप्त रहे हैं।

मे ने तो कोनडोन को ही घेरते हुए कहा कि अगर कोनडोन को इस बात की जानकारी थी कि उनके एसीयू का प्रमुख रहते हुए मैच फिक्सिंग चरम पर है तो उन्होंने इस सम्बंध में कोई कार्रवाई क्यों नहीं की। 

कोनडोन ने यह भी कहा था कि आज जिस स्पॉट फिक्सिंग के कारण पाकिस्तान के तीन खिलाड़ी जेल की सजा काट रहे हैं, उसकी शुरुआत 2003 विश्व कप के दौरान हुई थी।

कोनडोन ने कहा कि उनकी देखरेख में 2003 विश्व कप का आयोजन हुआ था। उस दौरान बडी संख्या में मैच फिक्स किए गए थे। इसके बाद से जब आईसीसी ने ऐसा करने वालों पर अपना शिकंजा कसा तो स्पॉट फिक्सिंग सामने आया, जिसके अंतर्गत ज्यादा सुरक्षित रहकर धन अर्जित किया जा सकता था।

उनके मुताबिक 80 और 90 के दशक में मैच फिक्सिंग को लेकर कई तरह की बातें होती थीं और अफवाहें सामने आती थीं लेकिन इन पर यकीन वर्ष 2000 में हुआ, जब हैंसी क्रोनिए से जुड़ा मामला सामने आया। इसके बाद आईसीसी ने इस सम्बंध में गम्भीरता से काम करना शुरू किया।

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