लंदन ।। अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) की भ्रष्टाचार निरोधी इकाई (एसीयू)के पूर्व प्रमुख लॉर्ड पॉल कॉनडोन ने इस बात का खुलासा किया है कि आज जिस स्पॉट फिक्सिंग के कारण पाकिस्तान के तीन खिलाड़ी जेल की सजा काट रहे हैं, उसकी शुरुआत 2003 विश्व कप के दौरान हुई थी। कॉनडोन के मुताबिक स्पॉट फिक्सिंग की सबसे विवादास्पद और चर्चित घटना के कारण भले ही मैच फिक्सिंग से जुड़ी बातें कुछ समय के लिए पर्दे के पीछे चली गई हों लेकिन यह सब क्रिकेट में 80 और 90 के दशक से मौजूद है। 80 और 90 के दशक में मैच फिक्सिंग क्रिकेट में आम बात थी।

एसीयू के पहले प्रमुख के तौर पर काम कर चुके कॉनडोन ने समाचार पत्र ‘इवनिंग स्टैंडर्ड’ से बातचीत के दौरान कहा, “1990 के अंतिम वर्षो में टेस्ट और विश्व कप मैचों में मैच फिक्सिंग धड़ल्ले से होता था। कई टीमें मैच फिक्सिंग में लिप्त थीं। इनमें से ज्यादातर टीमें भारतीय उपमहाद्वीप की थीं।”

कॉनडोन के मुताबिक 80 और 90 के दशक में मैच फिक्सिंग को लेकर कई तरह की बातें होती थीं और अफवाहें सामने आती थीं लेकिन इन पर यकीन वर्ष 2000 में हुआ, जब हैंसी क्रोनिए से जुड़ा मामला सामने आया। इसके बाद आईसीसी ने इस सम्बंध में गम्भीरता से काम करना शुरू किया।

कॉनडोन ने यह भी कहा कि टेस्ट और एकदिवसीय क्रिकेट में ही नहीं, मैच फिक्सिंग ने इंग्लिश काउंटी चैम्पियनशिप और संडे लीग में भी जगह बना ली थी लेकिन वहां यह सब पैसे के लिए नहीं होता था। इन लीगों में टीमें अपनी प्रतिष्ठा बचाने के लिए समझौते किया करती थीं।

कॉनडोन ने कहा कि उनकी देखरेख में 2003 विश्व कप का आयोजन हुआ था। उस दौरान बडी संख्या में मैच फिक्स किए गए थे। इसके बाद से जब आईसीसी ने ऐसा करने वालों पर अपना शिकंजा कसा तो स्पॉट फिक्सिंग सामने आया, जिसके अंतर्गत ज्यादा सुरक्षित रहकर धन अर्जित किया जा सकता था।

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