लंदन ।। इंग्लैंड ने ओवल मैदान पर खेले गए चौथे व अंतिम टेस्ट मैच में भारत को पारी और आठ रनों से हराकर सुपड़ा साफ कर दिया है। इंग्लैंड ने समाप्त हुए श्रृंखला में भारत को 4-0 से हरा दिया है। दूसरी पारी में भारतीय टीम 283 रनों पर ऑलआउट हो गयी। इस हार के बाद टीम इंडिया की टेस्ट रैकिंग गिरकर तीसरे स्थान पर आ गयी है।

मैच के पांचवें दिन सोमवार को फॉलोऑन खेलते हुए भारतीय टीम 283 रनों पर ढेर हो गई। ग्रीम स्वान ने 106 रन देकर छह विकेट लिए। पहली पारी में इंग्लैंड के छह विकेट पर 591 [पारी घोषित] रन के जवाब में भारत ने अपनी पहली पारी में 300 रन बनाए थे। इस हार के साथ भारतीय टीम आईसीसी की टेस्ट टीमों के वरीयता क्रम में तीसरे स्थान पर खिसक गई। भारत को रैंकिंग में दूसरा स्थान बरकरार रखने के लिए यह मैच जीतना या ड्रा कराना आवश्यक था।

सम्मान बचाने की जंग में सचिन तेंदुलकर [91] और अमित मिश्रा [84] की पारी टीम इंडिया के काम नहीं आई। चौथे टेस्ट मैच के पांचवें दिन भारत को हार टालने के लिए दिनभर बल्लेबाजी करनी थी, लेकिन टीम चायकाल से पूर्व 283 रनों पर आउट हो गई, जिससे उसे इंग्लैंड से पारी व आठ रनों से हार के साथ सीरीज में क्लीनस्वीप का सामना करना पड़ा।

तेंदुलकर ने 172 गेंद की अपनी पारी में 11 चौकों की मदद से 91 रन बनाए और नाइट वाचमैन अमित मिश्रा [84 रन, 141 गेंद, 10 चौके] के साथ चौथे विकेट के लिए 144 रन जोड़े। जब दोनों बल्लेबाज क्रीज पर थे, तब लग रहा था कि भारत इस मैच को ड्रा कराने में सफल रहेगा, लेकिन टीम अपने अंतिम सात विकेट 21 रन पर गंवाने के साथ 283 रन पर सिमट गई और सीरीज 4-0 से गंवा बैठी। तेंदुलकर अपने करियर में नौवीं बार नर्वस नाइंटीज का शिकार हुए। इसके साथ ही वह शतकों के शतक से भी चूक गए।

इंग्लैंड की ओर से ग्रीम स्वान ने फिरकी की जादू चलाते हुए 106 रन देकर छह विकेट चटकाए। इससे पूर्व टीम ने अपनी पहली पारी छह विकेट पर 591 रन बनाने के बाद घोषित की थी, जिसके जवाब में भारत 300 रन ही बना सका था और फालोआन खेलने उतरा था।

भारत ने सीरीज की शुरुआत नंबर एक टीम के रूप में, जबकि इंग्लैंड ने तीसरी टीम के रूप में की थी। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 1999-2000 में तीन मैचों की सीरीज 3-0 से गंवाने के बाद यह पहला मौका है, जब दो से अधिक मैचों की सीरीज में भारत का वाइटवाश हुआ है। इंग्लैंड ने इससे पहले पिछली बार 1974 में अपनी सरजमीं पर भारत का सूपड़ा साफ किया था, जब मेजबान टीम ने 3-0 से सीरीज जीती थी।

भारत की यह हार इसलिए भी निराशाजनक है, क्योंकि 2005-06 में पाकिस्तान के हाथों तीन मैचों की सीरीज 0-1 से गंवाने के बाद यह पहला मौका है, जब टीम इंडिया किसी सीरीज में एक भी मैच जीतने में विफल रही है।

“द ओवल” मैदान पर बड़ी संख्या में दर्शक तेंदुलकर के शतकों के शतक को पूरा होते हुए देखने पहुंचे थे, लेकिन यह दिग्गज बल्लेबाज 70 और 85 रन के निजी स्कोर पर मिले जीवनदान के बावजूद 100वां अंतरराष्ट्रीय शतक पूरा नहीं कर पाया। दोनों मौकों पर बदकिस्मत गेंदबाज स्वान ही रहे। इससे पहले सुबह का सत्र भारतीय बल्लेबाजों के नाम रहा, जिन्होंने 30 ओवर तक इंग्लैंड के गेंदबाजों को विकेट से महरूम रखा, जबकि इस दौरान 87 रन जुटाए, लेकिन इंग्लैंड ने दूसरे सत्र में जोरदार वापसी करते हुए 26 ओवर में 67 रन खर्च करके मेहमान टीम के बाकी सात विकेट भी चटका दिए।

सुबह तीन विकेट पर 129 रन से आगे खेलने उतरे भारत को तेंदुलकर और मिश्रा ने सतर्क शुरुआत दिलाई। दोनों ने हालांकि लय में आने के बाद कुछ आकर्षक शाट खेले। तेंदुलकर ने जेम्स एंडरसन पर दो चौकों के साथ शुरुआत की, जबकि इसी गेंदबाज पर एक रन के साथ 74 गेंद में अपना अर्धशतक पूरा किया।

दूसरी तरफ मिश्रा ने भी अपने तेवर दिखाए और ग्रीम स्वान पर दो, जबकि स्टुअर्ट ब्राड पर एक चौका जड़ा। दोनों बल्लेबाजों ने एक दो रन लेकर स्कोर बोर्ड को चलयमान रखने की कोशिश की, लेकिन खराब गेंद को नसीहत देने में भी कोई कोताही नहीं बरती। मिश्रा ने टिम ब्रेसनेन की गेंद को लांग आन पर एक रन के लिए खेलकर टीम का स्कोर 200 रन तक पहुंचाया। उन्होंने इसी तेज गेंदबाज पर दो रन के साथ 103 गेंद में अपने करियर का दूसरा अर्धशतक पूरा किया और फिर इसी ओवर में चौका भी जड़ा।

तेंदुलकर को इस बीच 70 रन के स्कोर पर जीवनदान मिला जब स्वान की तेजी से स्पिन होती गेंद उनके बल्ले का किनारा लेने के बाद पैड से टकराते हुए फारवर्ड शार्ट लेग पर खड़े एलिस्टेयर कुक के पास पहुंची, जो इसे लपकने में नाकाम रहे। इस दिग्गज बल्लेबाज को चाय विश्राम के बाद स्वान की गेंद पर एक और जीवनदान मिला, जब विकेटकीपर मैट प्रायर तेंदुलकर के बल्ले को छूकर आई गेंद को अपने दस्तानों में नहीं जकड़ सके। एक गेंद बाद अंपायर ने तेंदुलकर के खिलाफ स्वान की पगबाधा की विश्वसनीय अपील भी ठुकरा दी। तेंदुलकर इसके बाद केविन पीटरसन की गेंद को मिडविकेट से चार रन के लिए भेजकर नाइंटीज में पहुंच।

मिश्रा ने भी स्वान की गेंद पर चौके के साथ अपने करियर के पहले शतक की ओर कदम बढ़ाया, लेकिन इस आफ स्पिनर ने एक गेंद बाद नाइट वाचमैन के तौर पर आए मिश्रा की पारी का अंत कर दिया। ब्रेसनेन ने अगले ओवर में तेंदुलकर को भी पगबाधा आउट करके भारतीय क्रिकेट प्रेमियों को मायूस कर दिया। इस दिग्गज बल्लेबाज को अब अंतरराष्ट्रीय शतकों का शतक पूरा करने के लिए तीन सितंबर से इंग्लैंड के खिलाफ शुरू हो रही एकदिवसीय सीरीज का इंतजार करना होगा।

इसके बाद स्वान ने रैना को भी पगबाधा आउट किया, जो पहली पारी की तरह इस बार भी खाता खोलने में विफल रहे। टीवी रीप्ले में हालांकि साफ दिखा कि गेंद विकेट से नहीं टकरा रही थी। ब्राड ने इसके बाद कप्तान धौनी [3] और आरपी सिंह [0] को चार गेंद के भीतर पवेलियन भेजा, जबकि स्वान ने गौतम गंभीर [3] और एस श्रीसंथ [6] को आउट करके इंग्लैंड की जीत नियत कर दी।

इंग्लैंड की ओर से पहली पारी में 235 रनों की मैराथन पारी खेलने वाले इयान बेल को “मैन ऑफ द मैच” चुना गया। इस श्रृंखला में 25 विकेट लेने के साथ-साथ बल्ले के साथ भी अतुलनीय योदगान देने वाले ब्रॉड और 461 रन बनाने वाले राहुल द्रविड़ को संयुक्त रूप से “मैन ऑफ द सीरीज” चुना गया। ब्रॉड ने बल्ले से 182 रनों का योगदान दिया। ब्रॉड को इस खिताब के लिए भारतीय टीम के कोच डंकन फ्लेचर ने चुना।

इस श्रृंखला में तीन शतक लगाने वाले भारत के दिग्गज बल्लेबाज राहुल द्रविड़ को इंग्लिश कप्तान एंडी फ्लावर ने भारत का “मैन ऑफ द सीरीज” चुना।  द्रविड़ ने चार मैचो में कुल 461 रनों का योदगान दिया। केविन पीटरसन ने सर्वाधिक 533 और इयान बेल ने 504 रन बनाए। इन दोनों बल्लेबाजों के नाम एक-एक दोहरा शतक भी रहा। इनके अलावा ओपनर कुक ने भी एक दोहरा शतक लगाया।

आईसीसी टेस्ट टीमों की रैंकिंग में अब भारत के 117 रेटिंग अंक हो गए हैं। इंग्लैंड 125 अंकों के साथ पहले स्थान पर है, जबकि दक्षिण अफ्रीकी टीम 118 अंकों के साथ दूसरे क्रम पर पहुंच गई है। भारतीय टीम के लिए यह श्रृंखला बेहद निराशाजनक रही। उसने लॉर्ड्स, ट्रेंट ब्रिज और एजबेस्टन में खेले गए तीन मैच गंवाकर नवम्बर, 2009 में हासिल सर्वोच्च वरीयता टेस्ट टीम का ताज गंवा दिया था।

भारतीय कप्तान धोनी ने कहा कि “हमने यह मैच बचाने की भरपूर कोशिश की। यह सबसे महत्वपूर्ण बात है। हमें इस श्रृंखला की तैयारी के लिए बहुत कम समय मिला। हम जानते हैं कि क्रिकेट प्रेमी हमसे बहुत अधिक अपेक्षाएं रखते हैं और हम एक इकाई के तौर पर खेलते हुए आने वाले मैचों में अपनी क्षमता के साथ न्याय करने की कोशिश करेंगे।”

मेजबान कप्तान स्ट्रॉस ने कहा कि “हमने एक बार फिर शानदार प्रदर्शन किया। आज का दिन स्वान का था, लेकिन मैच की शुरुआत में बेल ने एक नायाब पारी खेलकर मैच को हमारे हक में कर दिया था। मैं जानता था कि कि पांचवें दिन हमें कुछ अधिक मेहनत करनी होगी, लेकिन मुझे इस बात की खुशी थी कि हमारे पास काफी समय था।”

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