
शिमला ।। हिमाचल प्रदेश के लोगों को बंदरों के उत्पात से राहत दिलाने के लिए अब इन्हें पकड़ने के लिए इनाम राशि तय की गई है। एक बंदर पकड़ने पर 500 रुपये दिए जाएंगे। वन विभाग ने अगले आठ महीने में 200,000 बंदरों के बंध्यीकरण का लक्ष्य रखा है, जिसे पूरा करने के लिए बंदर पकड़ने वालों की जरूरत है।
प्रमुख वन्यजीव वार्डन ए.के. गुलाटी ने बताया, “राज्य के किसी भी शहर या गांव से एक बंदर पकड़कर उसे वन अधिकारियों को सौंपने वाले किसी व्यक्ति या समूह को 500 रुपये दिए जाएंगे। लोग ज्यादा से ज्यादा बंदर पकड़ सकते हैं।”
उन्होंने बताया कि वन्यजीव विभाग की ओर से बंदर पकड़ने वालों को उन्हें पकड़ने के लिए पिंजरे उपलब्ध कराए जाएंगे। वनों में तैनात गार्ड्स भी बंदर पकड़ सकते हैं।
सरकार का 200,000 बंदरों को पकड़ने पर 10 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।
राज्य मंत्रिमंडल ने पिछले महीने बंदरों की समस्या से निपटने के लिए राज्यभर में 25 नए बंध्यीकरण केंद्र खोले जाने के लिए सहमति दी थी।
बंध्यीकरण के बाद बंदरों को उन्हीं इलाकों में छोड़ दिया जाएगा, जहां से उन्हें पकड़ा जाएगा।
गुलाटी ने बताया कि नए बंध्यीकरण केंद्र नवंबर अंत से काम करने लगेंगे।
वर्तमान में राज्य में बंदरों के बंध्यीकरण के लिए चार केंद्र हैं। शिमला के तूतिकांडी, हमीरपुर के सस्तार, कांगड़ा के गोपालपुर व उना स्थित केंद्रों में अब तक 36,000 बंदरों का बंध्यीकरण किया जा चुका है।
वन विभाग के अनुमान के मुताबिक राज्य में 900,000 से ज्यादा किसान बंदरों के उत्पात से प्रभावित हैं। अनुमान के मुताबिक 300,000 से ज्यादा बंदर तो मुख्य रूप से अनाज व फलों की फसलों को अपना निशाना बनाते हैं।
शिमला, सोलन, सिरमौर, बिलासपुर, हमीरपुर, उना, मंडी और कांगड़ा जिले बंदरों के उत्पात से सबसे ज्यादा परेशान हैं और लोगों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
परेशानी इतनी बढ़ गई है कि राज्य सरकार ने केंद्र से महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी (मनरेगा) योजना के तहत जंगली जीवों से फसलों को बचाने वाले संरक्षक नियुक्त करने का अनुरोध किया है।
मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने बताया कि उनकी पार्टी के चुनावी वादों में से एक वादा इन बंदरों से वैज्ञानिक तरीके से छुटकारा दिलवाना भी था।
उन्होंने कहा, “हम इस दिशा में काम कर रहे हैं। बड़े पैमाने पर बंध्यीकरण इसका सबसे अच्छा उपाय है। बंदरों की आधी आबादी का बंध्यीकरण होने पर इसके सकारात्मक परिणाम सामने आने लगेंगे। बंदर पकड़ने पर 500 रुपये की राशि दिया जाना स्थानीय बेरोजगार युवकों के लिए कमाई का जरिया भी होगा।”