वैसे तो देशभर में अनेक मंदिर हैं लेकिन मां वैष्‍ण मंदिर सबसे व्‍यस्‍त तीर्थस्‍थल है। जम्‍मू-कश्‍मीर के रियासी जिले के त्रिकुटा पर्वत पर स्थित मां दुर्गा के इस मंदिर में सालभर भक्‍तों का तांता लगा रहा है। त्रिकुटा पर्वत पर स्थित होने के कारण वैष्‍णो देवी का एक नाम त्रिकुटा देवी भी है।

वैष्णो देवी मंदिर से जुड़ीं 8 बातें

आज हम आपको मां दुर्गा के प्रसिद्ध मंदिर वैष्‍णो देवी से जुड़ी रोचक बातों के बारे में बताने जा रहे हैं।

  • जिस जगह पर माता रानी तीन पिंडियों के रूप में विराजमान है उस स्‍थान को माता रानी का भवन कहा जाता है। किवदंती है कि इसी स्‍थान पर मां वैष्‍णों ने भैरोनाथ का वध किया था।
  • मान्‍यता है कि अगर वैष्‍णो देवी आने वाले भक्‍त भैरोनाथ के दर्शन ना करें तो उनकी यात्रा अधूरी रह जाती है।
  • वैष्‍णो देवी गुफा मंदिर लगभग 98 मीटर लंबा है और गुफा के अंदर एक वृहत चबूतरा है जिसे मां का आसन कहा जाता है।
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  • गुफा के एक स्‍थान को गर्भ पूजन स्‍थान या गर्भजून कहते हैं। मान्‍यता है कि जिस तरह शिशु नौ मास तक मां के गर्भ में रहता है वैस ही वैष्‍णो देवी ने भी इस गुफा में नौ मास तक वास किया था।
  • इस गर्भजून गुफा के बारे में लोगों का कहना है कि जो मनुष्‍य एक बार इस गुफा में जाता है उसे दोबारा गर्भ में जाना नहीं पड़ता है। अगर मनुष्‍य दोबारा गर्भ में आता भी है तो उसे किसी तरह का कष्‍ट उठाना नहीं पड़ता है। उसका जीवन सुख और वैभव से परिपूर्ण होता है।
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  • मां वैष्‍णो ने जब भैरो बाबा का वध किया था तो उनका धड़ वर्तमान मंदिर से 3 किमी दूर जाकर गिरा था जहां भैरा बाबा का मंदिर बनाया गया।
  • मां वैष्‍णो के इस मंदिर के बारे में मान्‍यता है कि जो भी भक्‍त यहां दर्शन करने आता है उसके मन की मुराद जरूर पूरी होती और माता रानी अपने भक्‍तों को कभी खाली हाथ नहीं लौटने देती हैं।

वैष्‍णो देवी की यात्रा 13 किमी पहले ही कटरा से शुरु हो जाती है और श्रद्धालुओं को पैदल चढ़ाई कर मंदिर तक पहुंचना होता है। ये यात्रा अपने आप में ही अद्भुत है और कहते हैं कि माता रानी इस यात्रा को पूरा करने के लिए अपने भक्‍तों को शक्‍ति देती हैं।

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