नई दिल्ली, Hindi7.com ।। नाग पंचमी हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है । हिन्दू पंचांग के अनुसार सावन माह की शुक्ल पक्ष के पंचमी को नाग पंचमी के रुप में मनाया जाता है । इस दिन व्रत करके सांपों को खीर खिलाई व दूध पिलाया जाता है। इस बार नाग पंचमी बुधवार को मनाई जाएगी।
इस दिन ब्रम्ह मुहूर्त में स्नान कर घर के दरवाजे पर या पूजा के स्थान पर गोबर से नाग बनाया जाता है। दूध, दुबी, कुशा, चंदन, अक्षत, पुष्प आदि से नाग देवता की पूजा की जाती है। लड्डू और मालपुआ का भोग बनाया जाता है।
यह पर्व भारत के अलग-अलग प्रान्तों में अलग-अलग तरह से मनाया जाता है। दक्षिण भारत, महाराष्ट्र और बंगाल में इसे विशेष रूप से मनाया जाता है।
पूजा करने की विधि –
प्रातः उठकर घर की सफाई कर नित्यकर्म से निवृत्त हो जाएँ।
पश्चात् स्नान कर साफ-स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
पूजन के लिए सेंवई-चावल आदि ताजा भोजन बनाएँ। कुछ भागों में नागपंचमी से एक दिन पहले भोजन बना कर रख लिया जाता है और नागपंचमी के दिन बासी खाना खाया जाता है।
इसके बाद दीवार पर गेरू पोतकर पूजन का स्थान बनाया जाता है। फिर कच्चे दूध में कोयला घिसकर उससे गेरू पुती दीवार पर घर आकृति बना कर उसमें अनेक नाग देवों की आकृति बनाते हैं।
कुछ जगहों पर सोने, चांदी, काठ व मिट्टी की कलम तथा हल्दी व चंदन की स्याही से अथवा गोबर से घर के मुख्य दरवाजे के दोनों बगलों में पाँच फन वाले नागदेव अंकित कर पूजते हैं।
सर्वप्रथम नागों की बांबी (नागदेव का निवास स्थान) में एक कटोरी दूध चढ़ा कर पूजा करें और फिर दीवार पर बनाए गए नाग देवता की दधि, दूर्वा, कुशा, गंध, अक्षत, पुष्प, जल, कच्चा दूध, रोली और चावल आदि से पूजन कर सेंवई व मिष्ठान से उनका भोग लगाएं, उसके बाद आरती करके कथा सुनें।
इस पर्व के पीछे एक कहानी बहुत प्रचलित है, जो इस प्रकार है –
एक राजा के सात पुत्र थे, उन सबके विवाह हो चुके थे। उनमें से छह पुत्रों के संतान भी हो चुकी थी। सबसे छोटे पुत्र के अब तक कोई संतान नहीं हुई, उसकी बहू को जिठानियां बाँझ कहकर बहुत ताने देती थीं।
एक तो संतान न होने का दुःख और उस पर सास, ननद, जिठानी आदि के ताने उसको और भी दुःखित करने लगे। इससे व्याकुल होकर वह बेचारी रोने लगती थी। उसका पति समझाता कि ‘संतान होना या न होना तो भाग्य के अधीन है, फिर तू क्यों दुःखी होती है?
वह कहती – सुनते हो, सब लोगों ने मुझे बाँझ कह-कह कर मेरी नाक में दम कर दिया है।
पति बोला- दुनिया कहती है, तो कहने दे, मैं तो कुछ नहीं कहता ! तू मेरी ओर ध्यान दे और दुःख को छोड़कर प्रसन्न रह। पति की बात सुनकर उसे कुछ सांत्वना मिलती थी, परंतु फिर जब कोई ताने देता तो रोने लगती थी।
इस प्रकार एक दिन नाग पंचमी आ गई। चौथ की रात को उसे स्वप्न में पाँच नाग दिखाई दिए, उनमें से एक ने कहा- ‘अरी पुत्री ! कल नागपंचमी है, तू अगर हमारा पूजन करे तो तुझे पुत्र रत्न की प्राप्ति हो सकती है। यह सुनकर वह उठ बैठी और पति को जगाकर स्वप्न का हाल सुनाया। पति ने कहा – यह कौन सी बड़ी बात है? पाँच नाग अगर दिखाई दिए हैं तो पाँचों की आकृति बनाकर उनका पूजन कर देना। नाग लोग ठंडा भोजन ग्रहण करते हैं, इसलिए उन्हें कच्चा दूध पिला कर प्रसन्न करना। दूसरे दिन उसने ठीक वैसा ही किया। नागों के पूजन से उसे नौ मास के बाद सुन्दर पुत्र की प्राप्ति हुई।