नई दिल्ली ।। केंद्र सरकार ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत काम के मौजूदा 100 दिनों को बढ़ाकर 200 दिन करने से यह कहते हुए इंकार कर दिया किया कि ऐसा करने से कृषि उत्पादन पर बुरा असर पड़ेगा।

ज्ञात हो कि भारतीय श्रम सम्मेलन ने 43वें सत्र में मनरेगा के तहत तय कानूनी मजदूरी के साथ ही काम के दिन बढ़ाने की सिफारिश की थी।

केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय की विज्ञप्ति के अनुसार ग्रामीण विकास राज्यमंत्री प्रदीप जैन ने गुरुवार को लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में कहा कि मनरेगा का प्राथमिक उद्देश्य ग्रामीण इलाकों में अकुशल श्रमिकों को साल में 100 दिन रोजगार उपलब्ध कराकर उनकी आजीविका सुरक्षा बढ़ाना है। मनरेगा का उद्देश्य ग्रामीणों की आय में बढ़ोतरी करना है।

उन्होंेने कहा कि मनरेगा उनकी आजीविका का मुख्य साधन नहीं है और श्रमिकों को रोजगार के उपलब्ध अन्य मौकों का फायदा उठाने की आजादी है।

जैन ने कहा कि मनरेगा का उद्देश्य कृषि कार्य से फुर्सत मिलने के बाद के दिनों में सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना है और यदि काम के दिनों को बढ़ाकर 200 दिन कर दिया जाता है तो कृषि उत्पादन पर इसका बुरा असर पड़ेगा।

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