नई दिल्ली ।। ग्रैमी पुरस्कार विजेता ब्रिटिश संगीतकार इमोगन हीप कहती हैं कि भारतीय संगीत उतना ही रंग-बिरंगा और जटिल है जितनी कि छह गज लम्बी साड़ी। इमोगन फ्राइंग पेन्स व ग्लास के जरिए संगीत की धुनें निकालने के लिए मशहूर हैं। 

इमोगन ने कहा, “मुझे भारत के सम्बंध में यह बात अच्छी लगती है कि इसका संगीत एक साड़ी की तरह है। यह वास्तव में रंग-बिरंगा, जटिल लेकिन बहुत धीमा और मंद संगीत है। जब मैं भारतीय संगीत सुनती हूं तो मुझे उसकी विविधता और धुनें अच्छी लगती हैं। इसमें बहुत विविधता है।”

उन्होंने कहा, “भारतीय संगीत जटिल है लेकिन यह बहुत अच्छा और दुर्लभ है। मुझे लगता है कि भारत में लोग जटिल संगीत सुनने के आदी हो गए हैं और वे और भी अधिक जटिल चीजों को सुन सकते हैं।” इमोगन की अंतिम एलबम ‘एलिप्स’ थी।

तैंतीस वर्षीया इमोगन ने हाल ही में राष्ट्रीय राजधानी में अपनी प्रस्तुति दी थी। वह इन दिनों भारत में हैं और मुम्बई व पुणे के संगीत समारोह में भी प्रस्तुति देंगी।

यह उनकी पहली भारत यात्रा नहीं है। उन्होंने बताया कि वह 14 साल पहले गोवा में पार्टी के लिए आई थीं। इसके बाद वह इसी साल जनवरी में संगीतकार विशाल दादलानी के साथ संगीतप्रधान टीवी शो ‘द डेवारिस्ट्स’ के लिए काम करने के लिए भारत आई थीं। स्कॉटिश व्हिस्की निर्माता कम्पनी डेवार इस शो की प्रायोजक है।

इमोगन को न केवल भारतीय साड़ियां व संगीत पसंद है बल्कि उन्हें भारतीय पकवान और खासकर पनीर भी बहुत पसंद है।

उन्होंने कहा, “मैं खान-पान का मजा ले रही हूं। यहां की चीजें अद्भुत हैं। मुझे मटर-पनीर पसंद है। दुर्भाग्य से लंदन के भारतीय रेस्तराओं में हमें यह नहीं मिलता।”

उन्हें 2009 में ‘एलिप्स’ के लिए बेस्ट इंजीनियर्ड एलबम का पहला ग्रैमी पुरस्कार मिला।

उन्होंने बताया, “मैं अक्सर पियानो बजाकर गाती हूं और मुझे यह अच्छा लगता है। जब मैं बच्ची थी तभी से ऐसा कर रही हूं लेकिन जब रिकॉर्डिग संगीत की बात आई तो मुझे लगा कि सिर्फ पियानो बजाकर गाना आसान है। मुझे एक ऐसा गीत बनाना पसंद है जिसमें कई परतें हों। मैं ऐसा संगीत बनाती हूं कि मेरे बाद भी उसे याद रखा जाए।”

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