वाशिंगटन ।। भारतीय मूल के दो अमेरिकी अंवेषकों व एक शोधकर्ता को उनके कार्यो के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने सम्मानित किया है। ओबामा ने नौ अन्य वैज्ञानिकों व अंवेषकों के साथ इन तीनों को उनके क्षेत्रों के शीर्ष पुरस्कारों से नवाजा।

न्यूयार्क विश्वविद्यालय के श्रीनिवास एस.आर. वर्धन उन सात शोधकर्ताओं में शामिल हैं, जिन्हें ओबामा ने ‘नेशनल मेडल ऑफ साइंस’ से सम्मानित किया। शुक्रवार को व्हाइट हाउस में आयोजित एक समारोह में उन्हें सम्मानित किया गया।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के दो पूर्व छात्रों में पर्डयू विश्वविद्यालय के राकेश अग्रवाल और नॉर्थ कैरोलिना स्टेट विश्वविद्यालय के बी जयंत बालिगा उन पांच वैज्ञानिकों में शामिल हैं जिन्हें प्रौद्योगिकी एवं अंवेषण मेडल दिए गए हैं।

इस अवसर पर ओबामा ने कहा, “हम आज इन्हें सम्मानित कर रहे हैं क्योंकि अमेरिका एक ऐसा देश है जहां अच्छे विचारों को स्थान मिलता है और सपने सच होते हैं।”

उन्होंने कहा, “चीन, जर्मनी, भारत, कनाडा और ब्रिटेन के ये वैज्ञानिक अपने लिए सबसे अच्छे विश्वविद्यालय और आधुनिक प्रयोगशालाएं खोज रहे थे, जो उन्हें यहां मिले। अमेरिका दुनिया का ऐसा सर्वश्रेष्ठ स्थान है जहां वे वह काम कर सकते थे जो उन्होंने किया।”

देश के शीर्ष वैज्ञानिकों को सम्मानित करने के दौरान उन्हें गूगल साइंस फेयर के तीन युवा विजेताओं के साथ हुई अपनी बैठक की याद आ गई। इनमें भारतीय मूल की अमेरिकी वैज्ञानिक श्री बोस भी शामिल थीं।

ओबामा ने श्री का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने मात्र 17 साल की उम्र में अण्डाशय (ओवैरियन) कैंसर के इलाज को बेहतर बनाने का एक नया तरीका पेश किया था।

पुरस्कृत शोधकर्ता वर्धन चेन्नई के प्रेसीडेंसी कॉलेज व भारतीय सांख्यिकी संस्थान के पूर्व छात्र हैं। उन्हें प्रायिकता के सिद्धांत पर उनके कार्य के लिए पुरस्कृत किया गया।

अग्रवाल आईआईटी कानपुर के पूर्व छात्र हैं। उन्हें ऊर्जा दक्षता व गैस के द्रवीकरण के क्षेत्र में उनके कार्य के लिए सम्मानित किया गया।

आईआईटी चेन्नई के पूर्व छात्र बालिगा को द्विध्रुव ट्रांजिस्टर व अन्य सेमीकंडक्टर उपकरणों के विकास व व्यवसायीकरण के क्षेत्र में किए गए उनके कार्यो के लिए सम्मानित किया गया।

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