वाशिंगटन ।। अमेरिका ने स्पष्ट किया है कि भारत का परमाणु दायित्व कानून अभी भी बाधा बना हुआ है। इसके साथ ही उसने कहा कि वह यह सुनिश्चित करने के लिए भारत से बातचीत कर रहा है कि यह कानून अमेरिकी कम्पनियों के लिए नुकसानदायक न हो।

अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता विक्टोरिया नूलेंड ने मंगलवार को संवाददाताओं से कहा, “हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि हमारी कम्पनियां इस उद्योग में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष रूप से प्रतिस्पर्धा कर सकें, क्योंकि हम आशा और उम्मीद करते हैं कि वे भारत और दुनिया भर में अन्य उद्योगों से प्रतिस्पर्धा में सक्षम होंगी।”

नूलेंड से पूछा गया कि यह सुनिश्चित करने के लिए अमेरिका भारत से कैसे कदमों की अपेक्षा रखता है इस पर उन्होंने कहा, “इसके लिए हम यह सुनिश्चित कर लेना चाहते हैं कि भारतीय कानून अमेरिकी कम्पनियों के लिए नुकसानदायक न हो।”

नूलेंड ने कहा कि यह बहुत ही संवेदनशील मुद्दा है, जिसपर हमारी दोनों सरकारों के बीच कई महीनों से बातचीत चल रही है। उन्होंने कहा कि अमेरिकी बयान में यह स्पष्ट किया गया है कि इस मुद्दे को हम भारत सरकार के साथ अभी तक सुलझा नहीं पाए हैं।

उन्होंने कहा, “हम इसपर लगातार काम कर रहे हैं, क्योंकि हम सभी शर्तो को अंतिम रूप देने को दोनों देशों के लिए बहुत महत्वपूर्ण मानते हैं।”

यह पूछे जाने पर कि क्या यह भारत-अमेरिका सम्बंधों में बाधक है, नूलेंड ने कहा, “यह एक ऐसा मुद्दा है, जिस पर हम चर्चा कर रहे हैं। यह एक ऐसा मुद्दा है, जिसके बारे में दोनों सरकारें जानती हैं कि इसका सुलझना दोनों के हित में है। कभी-कभी इस तरह के मामलों में थोड़ा समय लगता है, इसलिए हम इस पर लगातार काम करते रहेंगे।”

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