वाशिंगटन ।। अमेरिका ने भारत और अफगानिस्तान के बीच रणनीतिक साझेदारी समझौते का स्वागत किया है, लेकिन उसने कहा है कि वह अफगानिस्तान में शांति प्रक्रिया में नई दिल्ली को मध्यस्थ के तौर पर नहीं देखता।

विदेश विभाग की प्रवक्ता विक्टोरिया नूलैंड से जब मंगलवार को पूछा गया कि क्या अमेरिका, अफगानिस्तान में सुलह प्रक्रिया में भारत की कोई भूमिका चाहता है, उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि वाशिंगटन अमेरिका-पाकिस्तान-अफगानिस्तान के बीच वार्ता के त्रिपक्षीय ढाचे को मूल्यवान मानता है और इसे जारी रखने का समर्थन करता है।

भारत और अफगानिस्तान के बीच रणनीतिक साझेदारी और न्यू सिल्क रोड पहल में भारत की सम्भावित साझेदारी के बारे में आई रपटों का जिक्र करते हुए नूलैंड ने कहा, “ये दोनों ऐसी बातें हैं, जिनका हम बहुत स्वागत करते हैं।”

नूलैंड ने कहा, “मध्यस्थ की भूमिका निभाने के सम्बंध में मैं नहीं समझती कि हम ऐसा चाहते हैं। हम इस त्रिपक्षीय ढाचे को मूल्यवान मानते हैं और हमें इसे जारी रखना चाहिए।”

उन्होंने कहा कि वाशिंगटन भारत और पाकिस्तान के बीच सम्बंधों में सुधार का भी समर्थन किया है। नूलैंड ने कहा, “हमने दोनों सरकारों के बीच हो रही वार्ताओं का जोरदार समर्थन किया है।”

यह पूछे जाने पर कि क्या भारत ने नवम्बर 2008 के मुम्बई हमले के आरोपियों को और डी- कम्पनी के प्रमुख दाऊद इब्राहिम को कानून के कटघरे में खड़ा करने के लिए अमेरिका से मदद मांगी है, नूलैंड ने कहा, “भारत और पाकिस्तान ने अपनी द्विपक्षीय बातचीत को फिर से शुरू किया है, और फिलहाल मैं समझती हूं कि यह दोनों देशों के बीच का मामला है।”

इस तरह की खबरें आई हैं कि पाकिस्तान ने अपनी सीमा के भीतर सभी आतंकवादी संगठनों, हक्कानी नेटवर्क सहित सभी तालिबान गुटों के साथ सुलह के लिए बातचीत आयोजित करने की योजना की घोषणा की है। इस पर नूलैंड ने कहा, “सुलह को लेकर हमारा रुख यह है कि यदि आप सुलह के लिए जा रहे हैं तो आपको सम्बंधित मापदंडों को पूरा करना है।”

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