न्यूयार्क ।। अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने मंगलवार को भारत से कहा कि वह यह सुनिश्चित कराए कि उसकी परमाणु दायित्व व्यवस्था, ‘कन्वेंशन ऑन सप्लीमेंट्री कम्पेंसेशन फॉर न्युक्लियर डैमेज’ (परमाणु अनुपूरक क्षतिपूर्ति व्यवस्था) के अनुरूप हो।

अमेरिकी विदेश विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, क्लिंटन ने यह बात, संयुक्त राष्ट्र महासभा अधिवेशन से हटकर भारतीय विदेश मंत्री एस.एम. कृष्णा के साथ यहां हुई 40 मिनट की एक बैठक के दौरान कही।

ज्ञात हो कि भारतीय दायित्व व्यवस्था भारत-अमेरिका के बीच हुए ऐतिहासिक परमाणु समझौते के पूर्ण क्रियान्वयन में बड़ी बाधा बनी हुई है। क्योंकि अमेरिकी कम्पनियां भारतीय संसद द्वारा पारित मुआवजे से सम्बंधित सख्त कानून के तहत भारत के साथ व्यापार करने के प्रति उदासीन बनी हुई हैं।

अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि क्लिंटन और कृष्णा ने आतंकवाद से मुकाबले के लिए तथा नया वैश्विक आतंकवाद निरोधी मंच स्थापित करने के लिए दोनों देशों के साझा द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक प्रयासों के महत्व पर सहमति जताई है।

दोनों नेताओं ने मध्य पूर्व की शांति पर भी चर्चा की और दोनों मंत्रियों ने आशा जाहिर की कि इजरायल और फिलीस्तीन चार देशों के मध्यस्थ समूह द्वारा 23 सितम्बर को प्रस्तु किए गए प्रस्ताव को स्वीकार करेंगे और वे बातचीत के मंच पर वापस लौटेंगे।

अधिकारी ने कहा कि क्लिंटन और कृष्णा ने सीरिया के हालात पर भी चर्चा की, और इस बात की आवश्यकता जताई कि हर हाल में हिंसा बंद करने के लिए असद प्रशासन को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की ओर से एक सख्त संदेश दिया जाना चाहिए।

क्लिंटन ने दक्षिणी सूडान में शांति स्थापना में भारत के सहयोग के लिए तारीफ की, और दोनों नेताओं ने ब्लू नील और दक्षिणी कोर्दोफान में हिंसा को समाप्त करने के लिए खार्तूम और जूबा, दोनों के साथ काम करने की आवश्यकता पर चर्चा की।

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