लंदन ।। ईरान में ब्रिटेन के राजदूत रहे डॉमिनिक चिल्कोट ने कहा है कि इस बात की पूरी सम्भावना है कि तेहरान में ब्रिटिश दूतावास पर हमला सरकार की रजामंदी से ही हुआ होगा। उन्होंने कहा कि ईरान जैसे देश में इस तरह के प्रदर्शन सरकार की रजामंदी और समर्थन के बगैर नहीं हो सकते। 

वेबसाइट ‘बीबीसी डॉट को डॉट यूके’ के अनुसार, डॉमिनिक ने कहा, “ईरान ऐसा देश नहीं है जहां पूर्व तैयारी के बगैर प्रदर्शनकारी जमा होते हों और उसके बाद किसी विदेशी दूतावास पर धावा बोल देते हों। ऐसी कोई भी गतिविधि सिर्फ सरकार की रजामंदी और समर्थन से ही की जा सकती है।”

उन्होंने कहा कि ऐसा मानने की कई वजहे हैं कि यह सरकार के समर्थन से की गई गतिविधि थी। उन्होंने कहा कि ऐसा भी हो सकता है कि ईरान सरकार के कुछ लोगों को ब्रिटेन से ऐसी तीखी प्रतिक्रिया का अनुमान न रहा हो। उन्होंने कहा कि ईरान सरकार को हमसे यह उम्मीद नहीं रही होगी कि हम ईरानी दूतावास के राजनयिकों और कर्मचारियों वापस भेज देंगे।

उधर, ब्रिटेन के उप प्रधानमंत्री निक क्लेग ने कहा है कि ईरान के साथ ब्रिटेन के सम्बंध बहुत गम्भीर मोड़ पर आ गए हैं।

जर्मनी, फ्रांस और नीदरलैंड ने भी बुधवार को घोषणा की कि वे अपने राजनयिकों को विचार विमर्श के लिए ईरान से वापस बुला रहे हैं और नार्वे ने कहा कि वह अस्थायी तौर पर अपना दूतावास बंद कर रहा है।

इस बीच लंदन में ईरानी दूतावास में कार्यरत राजनयिक और उनके परिजन शनिवार तड़के स्वदेश लौट गए।

समाचार एजेंसी इरना के अनुसार 25 राजनयिक और दूतावास के कर्मचारी तेहरान मेहराबाद हवाई अड्डे पहुंचे। राजनयिकों और उनके परिजनों के स्वागत के लिए हवाई अड्डे पर बड़ी संख्या में विश्वविद्यालय के छात्र मौजूद थे।

ब्रिटेन ने तेहरान में अपने दूतावास पर भीड़ के हमले के बाद लंदन स्थित ईरान का दूतावास बंद कर दिया था और सभी राजनयिकों तथा दूतावास में तैनात कर्मचारियों को बुधवार को 48 घंटे के भीतर ब्रिटेन छोड़ देने को कहा था। 

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