बेंगलुरू/मेलबर्न ।। आस्ट्रेलिया की प्रधानमंत्री जूलिया गिलार्ड ने अपनी नीति में बदलाव करते हुए भारत को यूरेनियम बेचे जाने को लेकर लगाए गए प्रतिबंधों को हटाने का संकेत दिया है।

इस बीच भारत ने कहा है कि यह परमाणु अप्रसार के मामले में उसकी बेदाग छवि का प्रमाण है।

आस्ट्रेलिया का यह कदम भारत के असैन्य परमाणु कार्यक्रम के लिए एक बड़ी सफलता है। इस बारे में गिलार्ड ने आस्ट्रेलिया के प्रमुख दैनिक अखबारों में लिखे अपने स्तम्भ में कहा है कि वह भारत के खिलाफ लगे प्रतिबंध को हटाने के पक्ष में हैं क्योंकि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के साथ सम्बंधों पर इसका बुरा असर पड़ा है। 

आस्ट्रेलिया के इस कदम के बाद आस्ट्रेलियाई कम्पनियों के लिए भारतीय बाजार पूरी तरह से खुल जाएगा।

समाचार पत्र ‘मार्निग हेराल्ड’ में लिखे अपने स्तम्भ में गिलार्ड ने कहा, “लाजमी है कि हम भारत से कुछ मानदंडों की उम्मीद जरूर रखेंगे, जैसा कि हम उन सभी देशों से रखते हैं जिन्हें यूरेनियम निर्यात करते हैं। हम कड़े तरीके से अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के नियमों का पालन, पारदर्शी द्विपक्षीय कदमों की भी उम्मीद रखेंगे जिनसे ये सुनिश्चित हो कि हमारे द्वारा दिए गए यूरेनियम का प्रयोग शांतिपूर्ण मकसदों के लिए इस्तेमाल होगा।”

वर्ष 1970 की परमाणु अप्रसार संधि पर आस्ट्रेलिया की लेबर सरकार द्वारा किए गए हस्ताक्षर की वजह से वह भारत को यूरेनियम निर्यात कर सकता है।

इधर, भारत ने परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर करने से इंकार कर दिया था क्योंकि उसका मानना है कि यह भेदभावपूर्ण और परमाणु प्रतिरक्षा से मरहूम किए जाने का एक जरिया है।

समाचार पत्र ‘द एज’ में मंगलवार को छपी एक रपट के मुताबिक जूलिया ने कहा, “सत्ताधारी लेबर पार्टी को अपनी नीतियों को आधुनिक बनाने के साथ गतिशील और लोकतांत्रिक भारत के साथ अच्छे सम्बंध बनाने की आवश्यकता है।”

विदेश मंत्री एस.एम.कृष्णा ने मंगलवार को भारत को यूरेनियम बेचने की आस्ट्रेलियाई पहल का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि इससे देश की बढ़ती ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में सहायता मिलेगी।

बेंगलुरू में मंगलवार को संवाददाताओं से बातचीत के दौरान कृष्णा ने कहा, “हम इस बात को समझते हैं कि आस्ट्रेलिया की प्रधानमंत्री जूलिया गिलार्ड भारत की ऊर्जा जरूरतों और परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) समझौते को लेकर भारत के बेदाग रिकॉर्ड को दखते हुए यूरेनियम बेचे जाने को लेकर सत्ताधारी लेबर पार्टी की नीति में बदलाव की पक्षधर हैं।”

आस्ट्रेलिया के इस महत्पवूर्ण कदम की सराहना करते हुए कृष्णा ने कहा कि भारत और आस्ट्रेलिया के बीच काफी गहरे रिश्ते हैं। उन्होंने कहा, “हमारे द्विपक्षीय सम्बंधों के बीच ऊर्जा क्षेत्र काफी अहम स्थान रखता है।”

लेबर पार्टी के सीनेटर डॉग कैमरन ने एबीसी रेडियो से बातचीत के दौरान मंगलवार को कहा कि गिलार्ड का यह कदम सही नहीं होगा।

वामपंथी धड़े के संयोजक सीनेटर कैमरन ने यह भी कहा कि हमें याद रखना चाहिए कि यूरेनियम बेचे जाने से पहले आस्ट्रेलिया ने चीन को परमाणु अप्रसार संधि (एनएनपीटी) पर हस्ताक्षर करने के लिए बाध्य किया था।

कैमरन ने कहा, “चीन के साथ इस तरह के प्रयोग किए गए थे और भारत के लिए हम उन मानदंडों को बदल रहे हैं।”

वामपंथी धड़े और सहयोगी दल ग्रीन पार्टी द्वारा जूलिया गिलार्ड के इस बयान की आलोचना किए जाने की सम्भावना है। भारत को यूरेनियम बेचे जाने को लेकर लगाए गए प्रतिबंधों को दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सम्बंधों के बीच एक बड़ा रोड़ा माना जाता रहा है।

आस्ट्रेलिया की व्यापार और राजनीतिक मजबूरियों के बावजूद लेबर पार्टी का वामपंथी धड़ा यह चाहता है कि भारत के खिलाफ यह प्रतिबंध जारी रहे।

गौरतलब है कि जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान गिलार्ड भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मिली थीं। इस दौरान उनकी पार्टी के कई सदस्यों ने भारत के खिलाफ लगाए गए प्रतिबंधों को हटाने का आग्रह किया था।

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