पर्थ ।। आस्ट्रेलिया में अपना पक्ष रखने के लिए अब भारत को चिंता करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि वहां की मीडिया भारत का पक्ष ले रही है, खासतौर से यूरेनियम के मोर्चे पर।

प्रधानमंत्री जूलिया गिलार्ड की विदेश नीति को अप्रसंगिक एवं खराब बताते हुए समाचार पत्र ‘द आस्ट्रेलियन’ के एक पत्रकार ने कहा है कि यह विदेश नीति दुनिया में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभर रहे भारत के साथ आस्ट्रेलिया के सम्बंधों को नुकसान पहुंचा रही है।

अखबार के सम्पादक पॉल केली ने लिखा है, “आस्ट्रेलियन लेबर पार्टी, क्या आस्ट्रेलियाई अर्थव्यवस्था और रणनीतिक हितों को लगातार नुकसान पहुंचाती रहेगी। यह असहनीय है। यदि यह स्थिति दिसम्बर में होने वाले राष्ट्रीय सम्मेलन तक इसी तरह बनी रही तो गिलार्ड को इस बात के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए कि उन्होंने यूरेनियम और परमाणु ऊर्जा के बारे में लेबर के पुराने आग्रहों को अनुमति देकर भारतीय नीति का अनुसरण करने से आस्ट्रेलिया को रोकने का काम किया है।”

केली ने एक थिंक टैंक ‘लोवी इंस्टीट्यूट’ के रॉरी मेडकाफ के हवाले से कहा है, “भारत को यूरेनियम न बेचने की पुरानी नीति से चिपके रहने के निर्णय से भारत के राजनीतिक सभ्रांत यह समझेंगे कि लेबर पार्टी उभर रहे भारत का स्वाभावित साझेदार कभी नहीं बनने वाली है।”

केली ने लिखा है, “तथ्यों पर विचार कीजिए। आस्ट्रेलिया चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, अमेरिका, ताईवान और कई यूरोपीय देशों को यूरेनियम निर्यात करता है। लिहाजा भारत को यूरेनियम की बिक्री पर प्रतिबंध लगाना न्यायोचित नहीं है।”

भारत को यूरेनियम बेचे जाने पर प्रतिबंध केविन रुड की सरकार ने पूर्व की हॉवर्ड सरकार के निर्णय को पलटते हुए 2008 में लगाया था।

वर्तमान समय में पर्थ में चल रहे राष्ट्रमंडल देशों के सरकार प्रमुखों की बैठक में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अनुपस्थिति को आस्ट्रेलियाई मीडिया भारत के प्रति आस्ट्रेलिया की यूरेनियम नीति को एक स्पष्ट कारण के रूप में मान रही है।

केली ने लेबर पार्टी के सीनेटर स्टीफन लूसली के हवाले से कहा है, “भारतीयों ने पर्थ में स्पष्ट एवं साफ संदेश दिया है। वे इस मुद्दे को अपने लिए महत्वपूर्ण मानते हैं।”

केली ने एक बार फिर मेडकाफ के हवाले से कहा है, “भारत को तत्काल हमारे यूरेनियम की आवश्यकता नहीं है। लेकिन उसने लेबर पार्टी के इस प्रतिबंध को हताशा और उलझन भरा बताया है। मेडकाफ के शब्दों में स्थिति इतनी खराब है कि आस्ट्रेलिया यूरेनियम निर्यात को लेकर भारत से बातचीत तक करने को तैयार नहीं है।”

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