इस्लामाबाद ।। अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी से फोन पर बात किए जाने के बाद पाकिस्तान जर्मनी के बॉन शहर में अफगानिस्तान के भविष्य पर चर्चा के लिए सोमवार से शुरू हो रहे सम्मेलन में शिरकत कर सकता है।

ओबामा ने गत 26 नवम्बर के हमले में 24 पाकिस्तानी सैनिकों के मारे जाने पर शोक व्यक्त किया है। हालांकि ओबामा ने इसके लिए माफी नहीं मांगी है। 

‘डॉन’ ने खबर दी है कि अमेरिका के राजनयिकों को उम्मीद है कि दोनों नेताओं के बीच फोन पर बातचीत होने के मद्देनजर पाकिस्तान इस सम्मेलन में निचले स्तर के अधिकारियों को भेज सकता है।

इससे पहले, पाकिस्तानी सीमावर्ती चौकियों पर उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो)के गत 26 नवम्बर के हमले के बाद पाकिस्तानी सरकार ने बॉन सम्मेलन का बहिष्कार करने का फैसला किया था। इस हमले के बाद पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में तैनात नाटो सुरक्षा बलों तक रसद पहुंचाने के लिए इस्तेमाल में लाए जाने वाले मार्ग को बंद कर दिया था।

इस सम्मेलन में 90 से ज्यादा देशों के विदेश मंत्रियों के भाग लेने की सम्भावना है। पश्चिमी देशों के सुरक्षा बल वर्ष 2014 तक अफगानिस्तान से चले जाएंगे।

इससे पहले जर्मनी की चांसलर एंगला मर्केल ने भी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी से फोन पर बातचीत की थी और उनसे सम्मेलन में भाग न लेने सम्बंधी फैसला बदलने का अनुरोध किया था।

व्हाइट हाउस द्वारा रविवार को जारी एक बयान में कहा गया, “राष्ट्रपति ने स्पष्ट किया कि यह खेदजनक घटना पाकिस्तान पर जानबूझकर किया गया हमला नहीं थी और उन्होंने इस घटना की पूर्ण जांच की प्रतिबद्धता दोहराई।”

बयान में कहा गया है, “दोनों राष्ट्रपतियों ने अमेरिका-पाक द्विपक्षीय रिश्ते के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई, जो दोनों देशों की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। दोनों नेताओं ने सम्पर्क बनाए रखने पर सहमति जताई।”

ओबामा और जरदारी के बीच बातचीत, 26 नवम्बर के नाटो के हमले में हुई पाक सैनिकों की मौत के बाद दोनों देशों के बीच बिगड़े सम्बंधों को सामान्य बनाने की सबसे ताजा कोशिश थी।

इसके पहले विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन और रक्षा मंत्री लियॉन पैनेटा ने इस घटना को एक त्रासदी करार दिया था और इसके लिए शोक संवेदना जाहिर की थी। लेकिन अमेरिका की तरफ से अभी तक इस घटना पर पाकिस्तान से कोई औपचारिक माफी नहीं मांगी गई है। 

इस बीच सीनेट में रिपब्लिकन सदस्य, जॉन मैक्के न ने अपने आरोप को दोहराते हुए कहा है कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी, इंटर-सर्विसिस इंटेलिजेंस (आईएसआई) अफगानिस्तान में आतंकवादी संगठनों की मदद कर रही है, और वे आतंकवादी संगठन अमेरिकियों की हत्याएं कर रहे हैं। मैक्के न ने इस स्थिति को अस्वीकार्य बताया।मैक्के न ने कहा, “वहां दो उर्वरक के कारखाने हैं, जिनकी सामग्रियों का इस्तेमाल विस्फोटक तैयार करने में हो रहा है और उन विस्फोटकों से अमेरिकियों की हत्याएं की जा रही हैं।” मैक्के न ने सुझाव दिया कि पाकिस्तान को दी जाने वाली सहायता, उससे मिलने वाले सहयोग के आधार पर नापी-तौली जानी चाहिए।

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