सान्या ।। दक्षिणी चीनी समुद्र में विएतनाम के साथ हाल में हुए भारत के तेल समझौतों ने चीन में एक नकारात्मक स्थिति पैदा कर दी है और एशिया में उभर रहीं दोनों शक्तियों के बेहतर सम्बंधों के हित में इस मुद्दे को संवेदनशीलता के साथ निपटाने की आवश्यकता है। यह कहना है प्रमुख चीनी विश्लेषक और दक्षिण एशियाई विशेषज्ञ मा जियाली का।

भारत को चीन का प्रतिद्वंद्वी मानने से इंकार करते हुए मा ने प्रस्तावित भारत-अमेरिका-जापान त्रिपक्षीय संवाद पर भी चेतावनी भरी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि यह आंशिक रूप से चीन को लक्षित है। मा, ‘राइजिंग इंडिया’ जैसी पुस्तक लिख चुके हैं और वह सुरक्षा मुद्दे पर भारत-चीन द्विपक्षीय चर्चा में एक प्रमुख भागीदार हैं।

चीन के समकालीन अंतर्राष्ट्रीय सम्बंध संस्थान में रणनीतिक विशेषज्ञ, मा ने आईएएनएस के साथ खास बातचीत में कहा कि विएतनाम के साथ तेल समझौते का “नकारात्मक असर हुआ है। यह बहुत ही संवेदनशील मुद्दा है और इससे चीन का भावनात्मक जुड़ाव है।”

मा ने कहा, “भारत और चीन को चाहिए कि वे इस मुद्दे को संवेदनशीलता के साथ निपटाएं। अन्यथा वातावरण तनावपूर्ण हो जाएगा।”

मा, दक्षिणी चीनी समुद्र में स्थित दो विएतनामी तेल क्षेत्रों में काम आगे बढ़ाने सम्बंधी भारत के निर्णय पर बीजिंग की ओर से आई तीखी प्रतिक्रिया पर पूछे गए एक सवाल का जवाब दे रहे थे। चीन ने तेल समृद्ध इस पूरे समुद्री क्षेत्र पर अपनी निर्विवाद सम्प्रभुता का दावा किया है। इस क्षेत्र पर विएतनाम और मलेशिया जैसे देश भी अपना दावा करते हैं।

मा ने कहा, “सभी देश जानते हैं कि दक्षिण चीनी समुद्र विवादित समुद्र क्षेत्र है। इस समुद्र में भारत द्वारा किए गए तेल समझौते से रिश्ते को नुकसान पहुंचने की सम्भावना है। मुझे आशा है कि भारतीय विशेषज्ञ समझ सकते हैं कि आने वाले दिनों में किसके साथ रिश्ता अधिक महत्वपूर्ण होगा।”

मा ने जोर देकर कहा, “यदि हम सीमा विवाद को हल करना चाहते हैं तो हमें हर हाल में सकारात्मक शांतिपूर्ण वातावरण बनाए रखना चाहिए।”

मा, इन दोनों एशियाई ताकतों के बीच विश्वास निर्माण के लिए गठित, प्रमुख व्यक्तियों के समूह और ट्रैक-2 पहल में शामिल रहे हैं।

मा ने संकेत दिया कि तेल समझौते का मुद्दा भारत और चीन के विशेष प्रतिनिधियों के बीच बातचीत के दौरान उठ सकता है। दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधि नई दिल्ली में अक्टूबर के अंत में या नवम्बर के प्रारम्भ में होने वाली 15वें दौर की सीमा वार्ता के लिए मिलने वाले हैं।

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