डरबन ।। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री जयंती नटराजन ने विकसित देशों से भावुक अपील करते हुए 1.2 अरब भारतीयों के मूलभूत विकास एवं गरीबी मिटाने के लिए अवसर उपलब्ध कराने को कहा है। 

दक्षिण अफ्रीका के शहर डरबन में आयोजित संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन वार्ता के आखिरी दिन शनिवार को मंत्रियों की बैठक को सम्बोधित करते हुए नटराजन ने कहा, “भारत अपने लोगों के मूलभूत विकास एवं गरीबी मिटाने के लिए अवसर की बात कह रहा है। क्या यह अतार्किक मांग है?”

उन्होंने समानता के सिद्धांत एवं विकास के अधिकार का जिक्र करते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन पर वार्ताओं में ये केंद्रीय तत्व होने चाहिए और इसी के आधार पर समझौते होने चाहिए।

उन्होंने कहा कि वह कनाडा की टिप्पणी से आश्चर्यचकित और विक्षुब्ध हैं। कनाडा ने कहा था कि भारत कानूनी रूप से बाध्यकारी समझौते के लिए तैयार नहीं है। नटराजन ने कहा कि जो देशों ने कानूनी रूप से बाध्यकारी समझौते पर हस्ताक्षर और पुष्टि की थी उन्होंने ही इसे छोड़ दिया।

कनाडा सहित कुछ देश क्योटो प्रोटोकाल के अंतर्गत कानूनी रूप से बाध्यकारी समझौते की समयावधि के विस्तार का विरोध कर रहे हैं। वर्तमान में क्योटो प्रोटोकाल ही एकमात्र समझौता है जिसमें विकसित देशों के लिए ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कटौती की कानूनी बाध्यता है।

मंत्री ने कहा, “यदि हम एक दूसरे से बात न करें एवं एक दूसरे के विषय में पूर्वाग्रह से ग्रस्त न रहें तो यह अच्छा होगा।”

उन्होंने कहा, “हम यह नहीं कह रहे हैं कि अभी कुछ भी नहीं होना चाहिए या कोई कार्रवाई नहीं करनी चाहिए। हमारा कहना है कि विकसित देशों के कार्यो की अवश्य समीक्षा की जानी चाहिए।”

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