वाशिंगटन ।। अमेरिका ने कहा है कि भारत के विकास से एक नई अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था बनने के साथ अमेरिका चाहता है कि 21वीं शताब्दी एशिया प्रशांत क्षेत्र की हो, जिसमें भारत, अमेरिका और चीन के बीच अच्छे सम्बंध हों।

एशिया प्रशांत क्षेत्र के लिए अमेरिका की रणनीति का खुलासा करते हुए उप विदेश मंत्री विलियम बर्न्‍स ने कहा, “भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के विचारों के मुताबिक मुझे इसमें कोई संदेह नहीं लगता है कि अगर हम चाहें तो हम तीनों के विकास के लिए एशिया और विश्व काफी बड़ा है।”

उन्होंने अमेरिका की नेशनल कांफ्रेंस की विश्व मामला परिषद में कहा, “दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने के साथ शीघ्र ही वह दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला देश बन जाएगा और अगले दो दशक में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के साथ भारत के विकास से अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था में बदलाव होगा।”

राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा 21वीं शताब्दी में भारत को एक स्वाभाविक साझेदार बताने वाले बयान का जिक्र करते हुए बर्न्‍स ने कहा कि अमेरिका चाहता है कि वह एशिया प्रशांत क्षेत्र में भी एक स्वाभाविक साझेदार बने।

उन्होंने कहा, “पूर्वी एशिया में पहले से ही भारत की एक प्रभावी आर्थिक और सांस्कृतिक मौजूदगी है और उसने जापान, दक्षिण कोरिया, आस्ट्रेलिया, सिंगापुर, इंडोनेशिया और वियतनाम के साथ मजबूत आर्थिक और सुरक्षा समझौते किए हैं।”

उन्होंने कहा कि भारत की ‘लुक ईस्ट’ नीति से उसका पूर्वी एशिया के क्षेत्रों में प्रभाव और बढ़ रहा है और यह ‘एक्ट ईस्ट’ नीति बनती जा रही है।

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