नई दिल्ली, Hindi7.com ।। अमरीकी और यूरोपीय संकट के चलते भारी बिकवाली से बांबे स्टॉक एक्सचेंज का सेंसेक्स 460 अंक टूटकर खुला। सेंसेक्स 460 अंक गिरकर 16815.91 पर खुला। फिलहाल, सेंसेक्स 451.47 अंक नीचे लुढ़क कर 16854.40 के स्तर पर कारोबार कर रहा है।

पिछले कारोबारी सत्र में सूचकांक 387.31 अंक यानी की 2.19 प्रतिशत की गिरावट के साथ 17,305.87 अंक पर बंद हुआ था। आईटी, कैपिटल गुड्स और बैंकिंग शेयरों सहित सभी क्षेत्रीय सूचकांकों में तेज गिरावट दर्ज किया जा रहा है।

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 126 अंक नीचे लुढ़क कर 5082 अंक पर खुला। फिलहाल, निफ्टी 136.95 अंक गिरकर 5074.30 के स्तर पर कारोबार कर रहा है। बीएसई के मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों में भी गिरावट का रुख रहा।

एचसीएल, टीसीएस, टाटा मोटर्स और विप्रो के शेयरों में सबसे अधिक गिरावट दर्ज की गई है। गिरावट के रूख के बावजूद गेल और बीपीसीएल जैसी कंपनियों के शेयरों में लगातार बढ़त देखा जा रहा है।

अन्य प्रमुख एशियाई बाजारों में भी भारी गिरावट देखने को मिल रही है। बाजार के जानकार कह रहे हैं कि अगले कुछ दिनों में सेंसेक्स गिरकर 15,000 के स्तर को पा सकता है।

अन्य एशियाई बाजार भी पस्त

जापान का निक्केई 122 पॉइंट [1.3 फीसदी] लुढ़ककर 9,178 के स्तर पर कारोबार कर रहा है। हांगकांग का हैंग सेंग 800 पॉइंट [4 फीसदी] टूटकर 20,145.67 के स्तर पर कारोबार कर रहा है। शंघाई कम्पोजिट 80 पॉइंट [3 फीसदी] की कमजोरी लेकर 2,546 के स्तर पर कारोबार कर रहा है। ऑस्ट्रेलिया के सूचकांक में डेढ़ फीसदी से अधिक की गिरावट देखी जा रही है।

एसजीएक्स निफ्टी 109 पॉइंट की भारी गिरावट के साथ 5,100 के स्तर के करीब आ गया है। कोरियाई बाजार का सूचकांक कॉस्पी 52.5 पॉइंट [2.7 फीसदी] टूटकर 1,891 के स्तर पर कारोबार कर रहा है। स्ट्रेट्स टाइम्स और ताइवान सूचकांक में क्रमश: [3.4 फीसदी] और [2.1 फीसदी] की कमजोरी दिख रही है।

उधर, अमरीका के पक्ष में वहां के मीडिया द्वारा कुछ तर्क दिए जा रहे हैं, जिसके मुताबिक, रेटिंग “ट्रिपल ए” होने का मतलब है कि अमरीका का वित्तीय साख बहुत ज्यादा मजबूत है। इसे घटाकर “डबल ए प्लस” कर दिया गया, जिसका मतलब है – काफी मजबूत। दोनों में बड़ा फर्क नहीं है। इन तर्कों के बावजूद दुनिया भर के बाजारों में भारी गिरावट के रूख को नहीं रोका जा सका है। माना जा रहा है कि मंदी का हमला एकबार फिर हो सकता है।

आरबीआई की है नजर

भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा है कि वह वैश्विक घटनाक्रम पर निगाह रखे हुए है। बैंक ने यह भी कहा है कि वह लगातार विदेशी विनिमय तरलता, रुपया और वृहद आर्थिक स्थिरता पर इसके प्रभाव का आंकलन कर रहा है।

गौरतलब है कि क्रेडिट रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पूअर्स ने शुक्रवार को अमेरिका की क्रेडिट रेटिंग 95 साल में पहली बार “ट्रिपल-ए” से घटाकर “डबल ए प्लस” कर दी थी। इसके बाद से दुनिया भर के बाजारों में उथल-पुथल मच गई है।

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