वाशिंगटन ।। येल युनिवर्सिटी में उच्च शिक्षा के भारतीय नायकों के लिए आयोजित अपने तरह के पहले कार्यक्रम को भारत और अमेरिका के बीच गतिशील एवं अभिनव सहयोग के एक उदाहरण के रूप में रेखांकित किया गया है।

येल और भारतीय अधिकारियों के बीच गहन चर्चा के बाद विकसित किया गया भारत-येल उच्च शिक्षा नेतृत्व कार्यक्रम, यहां गुरुवार को प्रथम अमेरिका-भारत उच्च शिक्षा शिखर सम्मेलन में चर्चा का विषय रहा। यह शिखर सम्मेलन उच्च शिक्षा के क्षेत्र में गहरे सम्पर्को को बढ़ावा देने के लिए आयोजित किया गया।

इस कार्यक्रम में 26 कुलपतियों, संस्थान निदेशकों, डींस और भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानों के अन्य अधिकारियों ने हिस्सा लिया। यह कार्यक्रम कनेक्टिकट के न्यू हेवेन में स्थित येल युनिवर्सिटी परिसर में 25 सितम्बर से नौ अक्टूबर तक आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में क्षेत्र के अन्य सार्वजनिक एवं निजी संस्थानों का भ्रमण भी शामिल था।

इस कार्यक्रम को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय की मदद से भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर और भारतीय प्रबंधन संस्थान, कोझिकोड की साझेदारी में विकसित किया गया था।

युनिवर्सिटी के अनुसार, यह कार्यक्रम अकेला आयोजन नहीं है, बल्कि इसके बाद मार्च 2012 में भारतीय प्रबंधन संस्थान, कोझकोड (केरल) में एक कार्यक्रम होगा तथा 2012 और 2013 में येल में अतिरिक्त कार्यक्रम होंगे।

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि प्रभावी अकादमिक नेतृत्व एक गम्भीर आवश्यकता होगी, क्योंकि भारत अगले दशक के दौरान पांच करोड़ अतिरिक्त विद्यार्थियों की जरूरतों की पूर्ति के लिए 1,000 अतिरिक्त विश्वविद्यालयों और 50,000 अतिरिक्त महाविद्यालयों के निर्माण के लिए प्रयासरत है।

येल युनिवर्सिटी के अध्यक्ष रिचर्ड लेविन ने कहा, “हम यह चाहते थे कि भारत-येल उच्च शिक्षा नेतृत्व कार्यक्रम, इसमें हिस्सा लेने वालों को उन चुनौतियों के बारे में आलोचनात्मक तरीके से सोचने-विचारने का अवसर प्रदान करे, जिनका सामना उन्हें अकादमिक नायक के रूप में करना पड़ता है, और यह जानने का भी अवसर प्रदान करे कि येल के प्रशासक और शिक्षक उस तरह की चुनौतियों से कैसे निपटते हैं।”

Rate this post

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here