संयुक्त राष्ट्र ।। सीरिया के खिलाफ प्रतिबंधों की चेतावनी देने वाले संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के एक प्रस्ताव पर हुए मतदान में भारत ने हिस्सा नहीं लिया। वैसे इस प्रस्ताव को रूस और चीन ने अपने वीटो अधिकार के जरिए खारिज कर दिया है।

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि हरदीप पुरी ने मतदान में हिस्सा न लेने की घोषण करते हुए कहा कि सुरक्षा परिषद के समक्ष आए इस प्रस्ताव में प्रतिबंधों की चेतावनी को लेकर हमारी चिंताओं के जवाब नहीं हैं।

पुरी ने मतदान से दूर रहने के भारत के निर्णय पर कहा, “इसमें सीरियाई विपक्ष द्वारा की गई हिंसा की निंदा नहीं की गई है। न तो इसमें विपक्ष पर हिंसा त्याग कर सीरियाई प्रशासन के साथ शांतिपूर्ण राजनीतिक प्रक्रिया के जरिए अपनी शिकायतों के समाधान की कोई जिम्मेदारी ही डाली गई है।”

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के यूरोपीय सदस्यों द्वारा तैयार और अमेरिका द्वारा समर्थित प्रस्ताव के मसौदे में इस बात का जिक्र है कि यदि असद सरकार, प्रस्ताव के पारित होने के बाद से 30 दिनों के भीतर विपक्ष पर अपनी कार्रवाई नहीं रोक पाती है तो उसे कड़े प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है।

इस प्रस्ताव को मंगलवार देर शाम 9-2 के मत से खारिज कर दिया गया। भारत सहित चार सदस्यों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया।

पुरी ने कहा, “सीरिया के घटनाक्रम से भारत चिंतित है, जहां हिंसा में सैकड़ों नागरिकों और सुरक्षा कर्मियों की मौत हो चुकी है। हम हर तरह की हिंसा की निंदा करते हैं, चाहे वह कोई भी कर रहा हो।”

पुरी ने कहा कि भारत मानता है कि सभी राज्यों की यह जिम्मेदारी है कि वे अपने नागरिकों के मौलिक अधिकारों का सम्मान करें, उनकी उचित आकांक्षाओं को पूरा करें और उनकी शिकायतों को प्रशासनिक, राजनीतिक, आर्थिक और अन्य उपायों के जरिए दूर करें।

पुरी ने कहा, “यहीं पर राज्यों की यह भी जिम्मेदारी है कि वे अपने नागरिकों की हथियारबंद समूहों और आतंकवादियों से हिफाजत करें। जहां जनता के शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के अधिकार का सम्मान किया जाना चाहिए, वहीं राष्ट्र उस सूरत में उचित कार्रवाई भी कर सकते हैं, जब आतंकवादी समूह और हथियारबंद लोग सरकार और अधोसंरचना के खिलाफ हिंसा को अंजाम दे रहे हों।”

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