संयुक्त राष्ट्र ।। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने भारत के पहल पर पहली बार एक प्रस्ताव को स्वीकृति दी है। इस प्रस्ताव में परिषद के सदस्य देशों से सोमालिया के तटों पर होने वाली समुद्री लूट को रोके जाने और समुद्री लुटेरों द्वारा जहाजों को बंधक बनाए जाने की समस्या से निपटने के लिए कानून बनाने की बात कही गई है।

परिषद की बैठक में भारत के नेतृत्व में 10 अन्य सदस्य देशों ने समुद्री लूट व समुद्री लुटेरों द्वारा बंधक बनाए जाने की समस्या उठाई थी। भारतीय विदेश राज्य मंत्री ई. अहमद ने सुरक्षा परिषद की बैठक में यह प्रस्ताव पेश किया था।

प्रस्ताव 2015 में सोमालिया के तटीय क्षेत्र से बाहर भी समुद्री लूट की समस्या के बढ़ने की बात कही गई है। इसमें कहा गया है कि इससे न केवल इस क्षेत्र के देश प्रभावित होते हैं बल्कि यहां से दूर स्थित देशों पर भी इसका प्रभाव पड़ रहा है।

प्रस्ताव में प्रभावी अभियोजन पक्ष और कानून लागू करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से सूचनाएं बांटने के लिए कहा गया है। इसमें सदस्य देशों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों से इससे सम्बंधित सबूतों को पेश करने के लिए कहा गया है।

भारत व अन्य सदस्यों ने प्रस्ताव के समुद्री लूट को जानबूझकर बढ़ावा देने वाले लोगों और समुद्री लूट के आपराधिक नेटवर्को के खिलाफ कार्रवाई करने के प्रावधानों के प्रति सक्रिय समर्थन जताया है।

प्रस्ताव में इस तरह की समुद्री लूटों की योजनाएं बनाने, इसमें सहयोग देने, वित्तीय मदद देने और इससे लाभ कमाने वालों के खिलाफ सुनवाई की भी बात कही गई है।

इस साल की शुरुआत में सुरक्षा परिषद ने प्रस्ताव 1976 स्वीकार किया था। जिसमें पहली बार समुद्री लुटेरों द्वारा बंधक बनाए जाने की समस्या उठाई गई थी और इस गम्भीर समस्या से निपटने के लिए सदस्य देशों से सहयोग करने की बात कही गई थी।

भारतीय स्थायी मिशन ने एक वक्तव्य जारी कर कहा है कि भारत को उम्मीद है कि प्रस्ताव 1976 के साथ प्रस्ताव 2015 (2011) व अन्य सम्बंधित प्रस्ताव समुद्री लूट व बंधक बनाए जाने की बुराई के खिलाफ लड़ाई के लिए अंतर्राष्ट्रीय कानूनी ढांचे को मजबूत बनाने में सहयोगी होंगे।

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