वाशिंगटन ।। अमेरिका दक्षिण एशिया में सक्रिय तथा 2008 में मुम्बई हमले के लिए जिम्मेदार पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा की गतिविधियों पर अंकुश लगाना चाहता है और वह इस दिशा में काम भी कर रहा है। 

हवाई में एशिया प्रशांत आर्थिक सम्मेलन में अमेरिका के एडमिरल रॉबर्ट एफ. विलार्ड ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा, “हम इस आतंकवादी संगठन से स्वतंत्र रूप से निपटने के लिए नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका तथा मालदीव को क्षमतावान बनाने के लिए इन देशों में काम कर रहे हैं।”

भारत के साथ अमेरिका के सम्बंधों का उल्लेख करते हुए विलार्ड ने कहा, “हमारे बीच रणनीतिक साझेदारी है, जो सैनिक और सरकार के स्तर पर भी समय के साथ बढ़ रही है।”

उन्होंने कहा कि भारत हालांकि दक्षिण एशिया में सबसे बड़ी सैन्य शक्ति है, लेकिन अमेरिका के साथ सैन्य क्षेत्र में उसका सम्बंध नया है।

विलार्ड के मुताबिक, “शीतयुद्ध के दौरान हमारे सम्बंध घनिष्ठ नहीं रहे और जब हमने साथ आने की शुरुआत की तो 1990 के दशक के आखिरी वर्षो में भारत द्वारा परमाणु परीक्षण के कारण इसमें बाधा आई। सैन्य दृष्टिकोण से भारत के साथ हमारी साझेदारी केवल सात या आठ वर्षो की है।”

उन्होंने कहा, “भारतीय सेना के साथ सभी सेवाओं में हमारी साझेदारी है। हम अदन की खाड़ी तथा हिंद महासागर में समुद्री लूट से मुकाबले सहित व्यापक समुद्री सुरक्षा के मुद्दे पर भी साथ हैं।”

विलार्ड के मुताबिक, भारत के साथ सम्बंध विकसित करना और चीन के साथ इसे बरकरार रखना अमेरिका प्रशांत कमान के प्रमुख उद्देश्य हैं।

उन्होंने कहा कि चीन के साथ अमेरिका के सम्बंधों में आश्चर्यजनक बदलाव आए हैं, जिससे चीन की अर्थव्यवस्था एवं सैन्य क्षमता में काफी प्रगति हुई है।

विलार्ड ने कहा कि अमेरिका की नीति चीन को उसकी सेना तथा सैन्य खर्चो को लेकर अधिक पारदर्शी रवैया अपनाने के लिए प्रेरित करने की है।

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