वाशिंगटन ।। अमेरिका के ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ के पूर्व अध्यक्ष माइक मुलेन ने उस संदेश की पुष्टि की है जिसके बारे में कहा गया है कि पाकिस्तान में सैन्य तख्ता पलट की आशंका पर राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी की ओर से उस संदेश को भेजा गया था। वहीं, मामला सामने आने पर अमेरिका में पाकिस्तानी राजदूत ने अपने इस्तीफे की पेशकश की है।
पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी व्यवसायी मंसूर एजाज ने पिछले महीने ‘फाइनेंशियल टाइम्स’ में एक स्तम्भ लिखकर आरोप लगाया था कि पाकिस्तान के एक वरिष्ठ राजनयिक ने जरदारी का संदेश मुलेन तक पहुंचाने में उनसे मदद मांगी थी।
एजाज के अनुसार, अलकायदा सरगना ओसामा बिन लादेन के गत दो मई को अमेरिकी कमांडो कार्रवाई में मारे जाने के बाद जरदारी को फौज द्वारा तख्ता पलट करने का खतरा महसूस होने लगा था।
‘फॉरेन पॉलिसी’ नामक पत्रिका में गुरुवार को प्रकाशित फीचर में मुलेन के तत्कालीन प्रवक्ता कैप्टन जॉन किरबी के हवाले से कहा गया है कि मुलेन ने एजाज की ओर से इस आशय का पत्र मिलने की पुष्टि की है। उनका कहना है कि उन्हें नोट मिला था, लेकिन उन्होंने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया और ही इस पर आगे कोई कार्रवाई की।
किरबी के मुताबिक, “मुलेन को कभी यह नोट विश्वसनीय नहीं लगा। इसलिए उन्होंने न तो तब और न ही बाद में इस पर ध्यान दिया। यही वजह है कि उन्होंने इस पर किसी से चर्चा नहीं की।”
इस बीच, अमेरिका में पाकिस्तानी राजदूत हक्कानी हुसैन ने अपने इस्तीफे की पेशकश की है। हुसैन ने यह पेशकश सैन्य तख्तापलट से डरे राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी द्वारा वाशिंगटन को भेजे गए गोपनीय संदेश में अपनी भूमिका सामने आने पर की है।
समाचार चैनल ‘सीएनएन’ के मुताबिक हुसैन ने कहा, “मैं पाकिस्तान के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की इच्छा पर सेवा देता हूं।”
उन्होंने कहा, “मैंने इस्तीफा देने की अपनी इच्छा उन तक पहुंचाई है। साथ ही मैं पाकिस्तानी सरकार के खिलाफ लगे दाग को समाप्त करने के लिए किसी भी जांच का सामना करने के लिए तैयार हूं। देश के कुछ तत्व सरकार को बदनाम करने में लगे हैं।”
उधर, इस्लामाबाद में इस गोपनीय नोट पर जरदारी, प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी और सेना प्रमुख अशफाक परवेज कयानी के बीच चर्चा हुई। ‘द न्यूज इंटरनेशनल’ के मुताबिक, उनकी मुलाकात बुधवार रात राष्ट्रपति भवन में हुई। राष्ट्रपति के प्रवक्ता फरहतुल्ला बाबर की ओर से जारी बयान में कहा कि उनके बीच देश के सुरक्षा हालात पर चर्चा हुई।
एक दिन पहले भी कयानी ने जरदारी से मुलाकात की थी। कहा जा रहा है कि इस बैठक में भी इसी मुद्दे पर चर्चा हुई थी।
इस बीच, गिलानी ने नेशनल असेम्बली को बताया कि इस मुद्दे पर चर्चा के लिए अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत हुसैन हक्कानी को इस्लामाबाद तलब किया गया है। उन्होंने कहा, “हक्कानी को यहां आना और हुकूमत को इस बारे में बताना होगा।”
वहीं, सूचना एवं प्रसारण मंत्री फिरदौस आशिक अवान ने बुधवार को कहा कि सरकार और सेना के नेतृत्व के बीच कोई मतभेद नहीं है। राष्ट्रीय हित के मुद्दों पर दोनों साथ हैं।